tag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post2278381224275226950..comments2023-10-05T00:40:14.785-07:00Comments on आरोही: कौन हैं आतंकवादी ?RADHIKAhttp://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-41466504819036520762008-09-15T01:55:00.000-07:002008-09-15T01:55:00.000-07:00aapki chinta or kathan dono jayaz haiaapki chinta or kathan dono jayaz haishelleyhttps://www.blogger.com/profile/12438659284260544490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-24335490691176400372008-09-14T07:28:00.000-07:002008-09-14T07:28:00.000-07:00उम्दा लेखन, धन्यवाद। लेकिन ईन विस्फोटो से नुकसान क...उम्दा लेखन, धन्यवाद। लेकिन ईन विस्फोटो से नुकसान किसका हो रहा है। पहला नुक्सान हिन्दुओ का क्योकी वे मारे जा रहा है। मुसल्मान भाईयो की छवि को भी कम नुक्सान नही हो रहा है। लोग सोचते है की क्यो कुरान को ही पढ कर लाग आतंकी बन रहे है? एक समय आएगा जब कुरान को लोग आतंकवादीयो का ग्रंथ कहना शुरु कर देगें। <BR/><BR/>लेकिन मै सोचने पर विवश हो जाता हुं की कही कोई तीसरा तो नही जो इन वारदातो के पीछे है। क्योकी तीसरा बेहद ताकतवर है। भारत के सत्ता के शीर्ष पर उसकी गहरी पकड है। सोचने मे हर्ज क्या है?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-27337384673200380722008-09-14T05:25:00.000-07:002008-09-14T05:25:00.000-07:00काश इंसान समझ पाए... प्रेम का भाव प्रबल हो जाए तो ...काश इंसान समझ पाए... प्रेम का भाव प्रबल हो जाए तो शायद दुनिया का अलग ही रूप हो... <BR/>संवेदनशील लेखमीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-75475577798832546712008-09-14T01:17:00.000-07:002008-09-14T01:17:00.000-07:00सत्याजित प्रकाश जी आपके विचार भी कुछ हद तक सही हैं...सत्याजित प्रकाश जी आपके विचार भी कुछ हद तक सही हैं ,पर जरा सोचिये ये पकडे नही जाते,पकड़े गए तो भी छुट जाते हैं,और हमने इनमे से कुछ को मार गिराया तो भी हम एक को मारेंगे सतरा नए aatankvadi banenge . किस किसको और कब तक मारेंगे हम?आने वाली पीढीयां हर एक क्षण सिर्फ़ इनसे ही जूझने में बिता देंगी . इसलिए ही जरुरत हैं ,प्रेम और सहानुभूति और मानवीय गुणों के बीज नन्हे मुन्नों ke ह्रदय में डालने की,जीवन की सही दिशा और मायने बताने की, धर्म और आस्था के सही मतलब बतलाने की,यह सब मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हैं,और शायद हम में से कोई नही चाहेगा की यह बीमारी हमारे देश के भविष्य को पुरी तरह अपना ग्रास बना ले, संहार का अपना महत्व हैं लेकिन हम उसके कारण मानवीय guno के सृजन के महत्व को नही नकार सकते . यह सब हो रहा हैं ,प्रेम और शान्ति की कमी के कारण,उन संस्कारो की कमी के कारण जो मानव को मानव बनाते हैं. जरुरत हैं बहुत बहुत विचार कर इस समस्या से निपटने की ,गंभीर प्रयत्न किए जाने की . धन्यवाद .RADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-49484385743826089302008-09-13T23:27:00.000-07:002008-09-13T23:27:00.000-07:00जी, मैं आपकी बातों की बातों से बिल्कुल सहमत नहीं ह...जी, मैं आपकी बातों की बातों से बिल्कुल सहमत नहीं हूं.<BR/>मेरा मानना है कि<BR/>सच पूछो तो शर में ही बसती दीप्ति विनय की<BR/>संधि वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की.<BR/>सहनशीलता क्षमा दया को तभी पूजता जग है<BR/>बल के दर्प चमकता जिसके पीछे जगमग है.<BR/><BR/>आतंकवादी ईमेल भेज कर हमले कर रहे हैं. कहते हैं कि रोकना हो तो रोक लो, इतनी आतंकवादी घटनाएं हो रही है. क्या एक व्यक्ति को पकड़कर कभी सजा दी गई. ये लोग आपके कानून- आपकी व्यवस्था से बिल्कुल नहीं डर रहे हैं. आप उन्हें प्रेम सिखाएंगी. मगर आपसे ज्यादा नफरत सिखाने वाले लोग उनके चारो ओर हैं, जो दिन-रात उनके जीवन में जहर घोलते हैं.Satyajeetprakashhttps://www.blogger.com/profile/11272982282044450151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-1712200122908063462008-09-13T22:59:00.000-07:002008-09-13T22:59:00.000-07:00मैं आपकी बात से सहमत हूँ. पर एक बात कहूँगा कि आज न...मैं आपकी बात से सहमत हूँ. पर एक बात कहूँगा कि आज नफरत का व्यापार करने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई है. कोई यह व्यापार सत्ता के लिए करता है, कोई धन के लिए. जब तक यह व्यापार बंद नहीं होगा कुछ नहीं बदलेगा इस समाज में, इस देश में.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-26338087810774419352008-09-13T17:28:00.000-07:002008-09-13T17:28:00.000-07:00प्रेम एक सहज अनुभूति है और नफरत भी उसी का एक प्रति...प्रेम एक सहज अनुभूति है और नफरत भी उसी का एक प्रतिउत्पाद. नफरत से द्वेष और हिंसा का जन्म होता है. यदि इंसान प्रेम के आवेग को प्रबल कर ले तो नफरत नहीं बचेगी.... और तब हिंसा की भी कोई पनाह न होगी. दहशतगर्दी एक सामाजिक विकार है और इस हिंसा का जवाब अंत में समाज को ही देना होगा. आपने एक संवेदनशील विषय पर अच्दे विचार रखे. धन्यवादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-50207539150747090232008-09-13T16:46:00.000-07:002008-09-13T16:46:00.000-07:00सही कहा-सहमत हूँ. उम्दा लेखन!!सही कहा-सहमत हूँ. उम्दा लेखन!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2614229443138949777.post-22011037036139925232008-09-13T14:50:00.000-07:002008-09-13T14:50:00.000-07:00Bahut accha likha hai.Bahut accha likha hai.सचिन मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07382964172201827333noreply@blogger.com