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Monday, September 14, 2009

टॉक इन इंग्लिश.....................................

  एक चार वर्षीय बच्चा ,बड़े से मॉल की लिफ्ट से निचे  उतर रहा था ,इस मॉल की लिफ्ट में चारो तरफ ग्लास लगे होने से मॉल के हर फ्लोर पर होने वाली गतिविधियाँ  लिफ्ट से दिखाई देती हैं .दुसरे  स्तर पर लिफ्ट आते ही ,बच्चा ख़ुशी से चीख पड़ा मम्मा ................................. वहाँ  देखो क्या हो रहा हैं . (दरअसल वहाँ एक धारावाहिक की शूटिंग चल रही थी ).हम सबको बच्चे का इस तरह खुश होना बड़ा ही अच्छा लगा ,उसके भोलेपन और ख़ुशी को देखकर सभी लोग आनंदित हो गए .लेकिन तुंरत एक धक्का सा लगा जब उस बच्चे की माँ बच्चे पर जोर से चिल्लाई "नितिन .................. ?????टॉक इन इंग्लिश .......हमेशा हिंदी हिंदी हिंदी ....Don ' t you  understand ??हो रहा होगा कुछ ".
 हम सब एक दुसरे का मुंह देखते रहे . कुछ देर सन्न से खडे रहने के बाद उस महिला के वह्य्वार पर हमें हंसी भी आई और दुःख भी हुआ .


 टॉक इन इंग्लिश  .............टॉक इन इंग्लिश ..................वही घर में, वही स्कूल में . हिंदी में बात करने वाले बच्चे भी तो होशियार होते  हैं न . आज का मंत्र" सभ्यता की पहचान इंग्लिश में बात ....................."

दिवस पर दिवस,दिवस पर दिवस, हर दिवस एक नया दिवस और वह दिवस बीत जाने पर सब  कुछ वैसा का वैसा ....किसी भाषा को सम्मान देने के लिए दिवस मनाया जाना गलत नहीं हैं . लेकिन इस दिवस पर इतना हमेशा के लिए समझना जरुरी हैं की चाहे हज़ार भाषायें सीखे ,बोले ,हम एक इंसान हैं ,हमारी अलग पहचान हैं ,लेकिन हम एक देश के नागरिक भी हैं ,भारत के नागरिक के रूप में ही हमारी विश्व  में पहचान हैं ,तो राष्ट्र भाषा का सम्मान करना हमें आना चाहिए और अगर हम इतना नहीं सोच सकते तो बच्चो को "टॉक इन इंग्लिश" का सतत उपदेश देकर देश का, राष्ट्र का और राष्ट्र भाषा का अपमान करने का अधिकार हमें नहीं हैं   .

इति
वीणा साधिका
डॉ. राधिका

20 comments:

  1. 'टाक इन इंगलिश' .. यही तो बडी समस्‍या है .. ब्‍लाग जगत में आज हिन्‍दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्‍छा लग रहा है .. हिन्‍दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!

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  2. वी शुड टॉक इन हिंदी :)

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  3. यहाँ तक की राजकाज हिंदी में करने के आदेश भी अंग्रेजी में आते हैं

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  4. राधिका जी आज के समय की यही तो समस्या है. वास्तव में आज अंग्रजी भाषा से अधिक व्यक्ति के व्यक्तित्व की परिचायक हो गयी है. हिन्दीभाषी होना द्वितीय श्रेणी को दर्शाता है पिछडेपन को दर्शाता है. अंग्रेजीभाषी होना अपने आप में गर्व, साहबियत, सम्रद्धि, प्रथम श्रेणी, उच्चता को दर्शाता है जिसकी बदौलत लोग दूसरों को अपमानित करने और हीनता पैदा करने के लिए हथियार के रूप में प्रयोग करते है. इसकी जड़ कहीं न कहीं गुलाम मानसिकता से जुडी है. आज india ke bajay bharat ki प्रगति और विकास के लिए इसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है.

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  5. टॉक इन इंग्लिश .............टॉक इन इंग्लिश ..................वही घर में, वही स्कूल में . हिंदी में बात करने वाले बच्चे भी तो होशियार होते हैं न . आज का मंत्र" सभ्यता की पहचान इंग्लिश में बात

    सही कहा आपने...
    हिन्दुस्तान में हिन्दी अपनी पहचान बनाने का प्रयास कर रही है..

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  6. हिन्दी हर भारतीय का गौरव है
    उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास जारी रहें
    आप की पोस्ट से यही सीखा के पहले माता पिता को सही संस्कार सीखने होंगें
    ये पैसे कमाने की ट्रेनिंग के तहत ही ये ऐसी गलत सोच अपनाते हैं
    राधिका जी ...that" talk in English !! "

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  7. 'टाक इन इंगलिश' मेरे लिये वो आदमी सब से ज्यादा अनपढ है जो अपनी भाषा को छोड कर दुसरी भाषा मे बोल कर अपने आप को पढा लिखा दिखाना चाहता है, मै किसी ऎसे आदमी को अपनी दोस्ती के काबिल नही समझता.... मै हिन्दी वाला ही ठीक हुं, कम से कम यह मेरी अपनी भा्षा तो है, जिस पर मेरा हक है, मेरी पहचान है, अग्रेजी हमारी नही हमारी गुलामी की पहचान है.... ओर मै गुलाम नही
    आप ने बहुत सुंदर ढंग से आज हिन्दी का मस्तक ऊंचा किया.
    बहुत अच्छ लगा धन्यवाद

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  8. बहुत सही!!!... :)


    हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

    जय हिन्दी!

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  9. बहुत बढिया है | लोगों को अब अपनी भाषा से ज्यादा प्यारी विदेसी भाषा लग रही है | वास्तविकता ये है की ज्यादातर अंग्रेजीदा लोग संस्कारहिन् हैं | बच्चों मैं संस्कार चाहिए तो सबसे पहले उसे अपनी मातृभाषा सिखाईये |.... पता नहीं ये बात कोई सुन भी रहा है या .......

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  10. इसे एक समस्या बना कर रख दिया है लोगों ने....बेहद अफ़सोसजनक

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  11. अब हँसी नहीं आएगी, तो और क्या होगा?

    बी एस पाबला

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  12. क्या कहूँ राधिका जी,मेरी एक परिचिता एक दिन बड़े ही गर्व से स्त्री समूह को बता रही थी कि उसकी बेटी को क्लास का मोनिटर इसलिए बनाया गया है कि वह बहुत अच्छा अंगरेजी बोलती है और उसका अंगरेजी प्रेम ऐसा है कि वह किसी का भी हिन्दी में बोलना बर्दाश्त नहीं कर पाती..वर्ग शिक्षिका ने उसे यह अधिकार दिया हुआ है कि उसे कक्षा में कोई भी हिंदी में बोलते बतियाते दिखे तो उसे पीट सकती है और ऐसे बच्चों के नाम लिखकर शिक्षिका को देने पर शिक्षिका अपनी और से भी उन्हें दण्डित करती हैं...

    कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदी दिवस हम उसी प्रकार मानते हैं जैसे मरणोपरांत वर्ष में एक बार श्राद्ध कर्म किये जाते हैं,वो भी केवल ऐसे बच्चों द्वारा जिनकी आस्था अपने पूर्वजों में है...

    तथाकथित सभ्य समाज के बीच पहुँचने पर लगता ही नहीं कि हम भारतवर्ष में हैं...मुझे नहीं लगता कि विश्व की अन्य कोई भी मातृभाषा इस तरह अपने देशवासियों द्वारा उपेक्षित होती होगी...

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  13. sahi kah rahi hain aap...hindi bolna ab log below status maanne lage hain.

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  14. टॉक इन इंग्लिश, वॉक इन इंग्लिश .. इंग्लिश इज वैरी फनी लैंग्वेज .. हैपी ब्लॉगिंग

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  15. ओह, कितने हिन्दीजीवियों के घरों पर अंग्रेजी राज्य कर रही होगी! :-)

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  16. ऱाधिका जी आपने सही कहा हिंदी राष्ट्र भाषा है इसका गौरव हम न तो स्वयं अनुबव करते हैं न ही बच्चों में ऐसी भावना भरते हैं । बच्चा एक साथ दोनो भाषायें सीख सकता है । अंग्रेजी सीखो इसमें बुराई नही है पर हिंदी का अभिमान रखो और वह गर्व से बोलो ।

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  17. और हां आपको बधाई भूतपूर्व राष्ट्रपति जी के सराहना पत्र के लिये ।

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  18. मैं आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ, यह हम लोगों की ही गलत बात है की हम अपनी भाषा छोड़कर विदेशी भाषा के पीछे भागते हैं. मेरी नज़र मैं विदेशी भाषा सीखना बुरा नहीं है, लेकिन अपनी भाषा को नीचा दिखा कर विदेशी भाषा को आगे बढ़ाना बहुत गलत है. जो लोग भी यह कार्य ज्ञान या अज्ञानता के कारण से करते हैं वे अपनी एवं हमारे देश की स्वयं ही कब्र खोद रहे हैं.

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