एक चार वर्षीय बच्चा ,बड़े से मॉल की लिफ्ट से निचे उतर रहा था ,इस मॉल की लिफ्ट में चारो तरफ ग्लास लगे होने से मॉल के हर फ्लोर पर होने वाली गतिविधियाँ लिफ्ट से दिखाई देती हैं .दुसरे स्तर पर लिफ्ट आते ही ,बच्चा ख़ुशी से चीख पड़ा मम्मा ................................. वहाँ देखो क्या हो रहा हैं . (दरअसल वहाँ एक धारावाहिक की शूटिंग चल रही थी ).हम सबको बच्चे का इस तरह खुश होना बड़ा ही अच्छा लगा ,उसके भोलेपन और ख़ुशी को देखकर सभी लोग आनंदित हो गए .लेकिन तुंरत एक धक्का सा लगा जब उस बच्चे की माँ बच्चे पर जोर से चिल्लाई "नितिन .................. ?????टॉक इन इंग्लिश .......हमेशा हिंदी हिंदी हिंदी ....Don ' t you understand ??हो रहा होगा कुछ ".
हम सब एक दुसरे का मुंह देखते रहे . कुछ देर सन्न से खडे रहने के बाद उस महिला के वह्य्वार पर हमें हंसी भी आई और दुःख भी हुआ .
टॉक इन इंग्लिश .............टॉक इन इंग्लिश ..................वही घर में, वही स्कूल में . हिंदी में बात करने वाले बच्चे भी तो होशियार होते हैं न . आज का मंत्र" सभ्यता की पहचान इंग्लिश में बात ....................."
दिवस पर दिवस,दिवस पर दिवस, हर दिवस एक नया दिवस और वह दिवस बीत जाने पर सब कुछ वैसा का वैसा ....किसी भाषा को सम्मान देने के लिए दिवस मनाया जाना गलत नहीं हैं . लेकिन इस दिवस पर इतना हमेशा के लिए समझना जरुरी हैं की चाहे हज़ार भाषायें सीखे ,बोले ,हम एक इंसान हैं ,हमारी अलग पहचान हैं ,लेकिन हम एक देश के नागरिक भी हैं ,भारत के नागरिक के रूप में ही हमारी विश्व में पहचान हैं ,तो राष्ट्र भाषा का सम्मान करना हमें आना चाहिए और अगर हम इतना नहीं सोच सकते तो बच्चो को "टॉक इन इंग्लिश" का सतत उपदेश देकर देश का, राष्ट्र का और राष्ट्र भाषा का अपमान करने का अधिकार हमें नहीं हैं .
इति
वीणा साधिका
डॉ. राधिका