आँखे खुलते ही उसे नज़र आते हैं अपने बच्चे .. उन्हें खिलाना ,पिलाना ,सुपोषित संस्कृत कर मनुष्य बनाना ...
माँ ,बेटी ,बहन ,पत्नी ,सखी इन सब रिश्तो से उसका अपना व्यक्तित्व मुखरित होता हैं ,हर रिश्ता उसके लिए उतना ही महत्वपूर्ण ..हर रिश्ता उसके अस्तित्व की पहचान ..
खुद के लिए मिलने वाले चंद पलों में वह पढ़ती हैं पढ़ाती हैं ,सजती हैं ,सबको सवांरती हैं .कोई कविता कोई गीत ,कभी लेख कभी संगीत .कभी जग भर के सारे बच्चो बूढों को अपना मान कर करती हैं उनकी सेवा .कभी किसी बड़े पद पर आसीन हो देश की दिशा और दशा उज्जवलित करती हैं .कभी आसमानों में उड़ अपने
और हर मानव के सपनो को पंख देती हैं .
कभी धर्म के नियम कभी बचपन का मनचलापन सबको वह देती हैं एक आधार
.वह कभी थमती नही ,हार मान कर बैठती नही .क्योकि ईश्वर ने उसे हारने के लिए नही बनाया ..वह जीत हैं .वह गीत हैं ,जीवन संगीत हैं ..इसलिए वह स्त्री हैं ..वह शक्ति हैं .
"स्त्रियाँ समस्ता सकला जगत्सु त्व्येका पूरितं मम्ब्येत" (अर्थात हे देवी दुर्गा ,अंबा जगत की स्त्रियाँ तेरा ही रूप हैं )
गर कभी कोई स्त्री उसके स्त्री होने पर दुःख जताती हैं तो मुझे सबसे ज्यादा दुःख होता हैं.....
स्त्री का जन्म लाखों जन्मो के पुण्य का फल हैं ..
मुझे स्त्री होने का अभिमानं हैं ...
संसार की सारी स्त्रियों को मेरा प्रणाम ...
माँ ,बेटी ,बहन ,पत्नी ,सखी
ReplyDeleteइन सब रिश्तो से उसका अपना व्यक्तित्व मुखरित होता हैं ,
हर रिश्ता उसके अस्तित्व की पहचान....
एक औरत होने के महत्त्व को
खूब बहुत सुन्दर अनुपम अभिव्यक्ति दी आपने
नारी का सम्मान ही
सही अर्थों में
समाज का सम्मान है
इसमें कोई शक नहीं .........
अभिवादन .
सत्य कहा....
ReplyDeleteईश्वर का आभार कि उन्होंने हमें यह काया दी और बहुत कुछ कर पाने का सामर्थ्य तथा अवसर.....
बड़े ही सुन्दर उदाहरण उठाता विषय।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति राधिका जी.
ReplyDeleteमुझे भी स्त्री होने का अभिमान है ...