कभी कभी कोई सुबह अपने स्वर्णिम रंगों के साथ एक सुखद आश्चर्य लेकर आती हैं .किसी सुबह आप जागते हैं रोज रोज का वही दिनक्रम बिताने ,किसी मशीन से यंत्रवत काम करते जाते हैं,पहाड़ सा दिन सामने होता हैं और मन सबसे उब चूका होता हैं .लेकिन तभी कोई ऐसी खबर मिलती हैं जो आपको आश्चर्य और ख़ुशी दोनों एक साथ दे जाती हैं ,ऐसा ही कुछ आज मेरे साथ हुआ.आरोही को स्कूल छोड़ कर आने के बाद जब मैंने कम्प्यूटर ऑन किया ,और आरोही ब्लॉग खोला तो देखा की आदरणीय अविनाश वाचस्पति जी का कमेन्ट आया हैं जिसमे उन्होंने बताया हैं की मेरी पोस्ट "खोये खोये से रिश्ते " http://aarohijivantarang.blogspot.com/2010/08/blog-post.html आज दैनिक जनसत्ता में छपी हैं .बड़ा अच्छा लगता हैं जब अपने मन की भावनाए लोगो तक पहुँचती हैं ,लोग उन्हें समझते हैं .
देखिये पेज नुम्बर 4 समांतर "खोये खोये से रिश्ते "
http://www.jansattaraipur.com/
अगर मुझे आप सभी ब्लोगर्स का प्यार और आशीर्वाद,दुआए नही मिलती तो मैं कभी लिख नही पाती मैं आप सभीकी आभारी हूँ .
साथ ही आभारी हूँ आदरणीय लावण्या जी ,रंजना दी ,अविनाश जी ,अजित दादा ,प्रवीण पाण्डेय जी,संगीता स्वरूप जी ,अभिषेक ओझा जी ,आशा जोगलेकर जी ,अनुराग जी ,डॉ.रामकुमार जी ,आशीष जी ,विनोद शुक्ल जी ,दिनेश राय द्विवेदी जी ,राज भाटिया जी ,अजय कुमार झा जी ,दीपक शुक्ल जी ,धीरू सिंह जी ,ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ,पंकज जी ,निर्मला कपिला जी ,समीरलाल जी ,शिवकुमार मिश्र,संजय भास्कर ,अनूप शुक्ल,महेंद्र मिश्र जी और सभी पाठको और ब्लोगर्स से जिन्होंने समय समय पर अपनी टिप्पणियाँ देकर मुझे प्रोत्साहित किया .
देखिये पेज नुम्बर 4 समांतर "खोये खोये से रिश्ते "
http://www.jansattaraipur.com/
अगर मुझे आप सभी ब्लोगर्स का प्यार और आशीर्वाद,दुआए नही मिलती तो मैं कभी लिख नही पाती मैं आप सभीकी आभारी हूँ .
साथ ही आभारी हूँ आदरणीय लावण्या जी ,रंजना दी ,अविनाश जी ,अजित दादा ,प्रवीण पाण्डेय जी,संगीता स्वरूप जी ,अभिषेक ओझा जी ,आशा जोगलेकर जी ,अनुराग जी ,डॉ.रामकुमार जी ,आशीष जी ,विनोद शुक्ल जी ,दिनेश राय द्विवेदी जी ,राज भाटिया जी ,अजय कुमार झा जी ,दीपक शुक्ल जी ,धीरू सिंह जी ,ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ,पंकज जी ,निर्मला कपिला जी ,समीरलाल जी ,शिवकुमार मिश्र,संजय भास्कर ,अनूप शुक्ल,महेंद्र मिश्र जी और सभी पाठको और ब्लोगर्स से जिन्होंने समय समय पर अपनी टिप्पणियाँ देकर मुझे प्रोत्साहित किया .
बहुत बहुत बधाई !!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...आपके काम को एक दिन इस से भी अधिक प्रसिद्धि मिलेगी...आप में विलक्षण प्रतिभा है और वो सामने आएगी ही क्यूँ के प्रतिभा को अधिक देर तक नहीं दबाया जा सकता...शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनीरज
बहुत बहुत बधाई हो आपको। यह उपलब्धि आपकी प्रतिभा की प्राकृतिक अभिव्यक्ति है।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ....यह आपकी अपनी प्रतिभा है ....आपको जीवन में बहुत सी उपलब्धियां मिलें यही शुभकामना है ...
ReplyDeleteसुगंध कभी कैद रह सकती है...वह तो फैलेगी ही फैलेगी...
ReplyDeleteआभार तो उस ईश्वर का है...वे इसी प्रकार सुविचार का प्रसार करते रहें,यही उनसे प्रार्थना है..
तुम्हारे सुसंस्कृत विचार किसी भी सुहृदय के ह्रदय को सरलता से छूने में सक्षम हैं,इसलिए यदि कोई प्रशंसक बने तो इसके लिए तनिक भी आश्चर्य न करो...
सतत सार्थक सकारात्मक रचते रहो.... अनंत शुभकामनाएं...
बिल्कुल वैसे ही सुखद आश्चर्य सी यह पोस्ट है। हम सबके मन में ऐसी ही नेक भावनाएं समाई रहती हैं, बस देखना होता है कि वे कब सिर उठाती हैं और सबको अपने दर्शन देकर राह नई दिखलाती हैं। मेरी ई मेल आई डी avinashvachaspati@gmail.com पर लिखिएगा तो मैं आपकी प्रकाशित पोस्ट की स्कैनप्रति भिजवा दूंगा जिसे आप चाहें तो अपने ब्लॉग पर एचटीएमएल कोड के जरिए लगा सकेंगी। एक बार इस पोस्ट के लिए मन से आभार।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई!
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बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeletebadhai ! (abhi hindi mein type nahin ho raha)
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई!
ReplyDeletecongrats! Sambandh bhi jeevan ke liye bahut aavashyak hote hain aur shayad sabse kimati bhi.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई राधिकाजी।
ReplyDeleteआपने जो फोटो यहां लगाया है उसे क्लिक करने पर वह उतना ही बड़ा रहता है। यानि उसे पढ़ा नहीं जा सकता। दूसरा, आपने जो जनसत्ता का लिंक दिया है वहां भी शायद यह रोजाना अपडेट होता है तो आपका लेख वहाँ भी नहीं दिख रहा। सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अविनाशजी ने स्कैन कॉपी मंगवा लें और फिर उसे यहां लगायें।
बहुत बहुत बधाई राधिका जी ।
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