आरोही को सुलाने की कोशिश में यह समय हो गया,बच्चे शायद भगवान का रूप होते हैं ,उन्हें पता होता हैं कब क्या करना हैं ?बिना वजह अभी तक खेलती रही,मेरे इस जागरण का फायदा यह हुआ की अभी अभी किसीने मुझे फोन करके बताया की राधिका तुम्हारी इच्छा पूरी हुई ,मैंने कहा कौनसी इच्छा ??जवाब आया तुमने कोल्हापुर मंदिर में औरतो के खिलाफ हो रहे दूर्वय्ह्वार का विरोध कर एक पत्र विधि व् न्याय विभाग को लिखा था न वही सब रोकने की इच्छा ,देखो जी न्यूज़ .मैंने झट से जी न्यूज़ लगा . खबर कुछ ऐसी हैं की "कोल्हापुर मंदिर में गर्भगृह में महिलाओ के प्रवेश पर से प्रतिबन्ध हटा "और यह संभव हुआ वहां के महिला मोर्चा के आन्दोलन के बाद .....
मैं इतनी खुश हूँ की तुरंत यह खबर आप सबको बता रही हूँ .दरअसल एक जनवरी को जब कोल्हापुर मंदिर में मैं सपरिवार गयी तो वहा महिलाओ के साथ हो रहे भेदभाव को देखकर मन एक दम दुखी हो गया .अभिषेक तो छोडिये महिलाओ को अपने पतियों के साथ बैठने की अनुमति भी नहीं दी जा रही थी ,उनसे बात करने का तरीका !!!उसके बारे में सोच कर भी मन दुखी होता हैं ,गर्भगृह तो दूर महिलाओ को मंदिर के आंतरिक परिसर में भी बैठने नहीं दिया जा रहा था,एकदम पशु सम व्ह्य्वार करके उन्हें वहां से भगाया जा रहा था .मैंने इसका विरोध किया ,पुजारियों से बात भी की ,लेकिन वो तो अपने घमंड में इतना चूर थे की क्या कहा जाये ???
मंदिर से लौटकर मैंने मंदिर के सचिव से इस बारे में बात की और साथ ही इस सम्बन्ध में एक शिकायती पत्र विधि व न्याय विभाग मुंबई को भी लिख भेजा ..
मुझे ख़ुशी हैं की जो काम मैं पूरा नहीं कर पाई वह महिला मोर्चा की महिलाओ ने पूरा किया ...आज मैं पुरे दिल से कहती हूँ नारी शक्ति जिंदाबाद !!
अब मैं माँ के दर्शन को जाउंगी और अपने हाथ से माँ की पूजा करुँगी ...
जय नारी शक्ति ..
बधाई हो इस सुन्दर प्रयास के लिये।
ReplyDeleteनारी शक्ति जिंदाबाद जी, ओर बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और आभार,इस सद्प्रयास के लिए...
राधिका जी आपने इस महिला विरोधी नियम का विरोध किया िसके बारे में लिख कर शिकायत की आपके जैसी बम सब हो जायें तो ऐसे नियम बनाने की हिम्मत ना हो मर्दों की । बधाई ।
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