वायरस और टोना टोटका इन शब्दों से आज भारतीय जनसँख्या का ८०% हिस्सा परिचित हैं ,भारतीय ही क्यों?विश्व भर की जनसभ्यता इन तीन शब्दों से डरती, सहमती हैं। हाँ हैं कुछ कर्मनिष्ठ,अविश्वासी प्राणी जो इन दो विषयो को सिरे से खारिज करते हैं ,उन्हें विश्वास होता हैं तो सिर्फ़ अपने कर्मो पर । राम गोपाल वर्मा साहब की सिनेमा सृजनात्मकता के चलते हमें भूत प्रेत ,टोना टोटका के बारे में थोड़ा बहुत तो ज्ञान हो ही गया हैं .पता नही उन्हें इतनी भूत प्रेत और टोना युक्त पिक्चर बनाने की अतुल्य बुद्धि कहाँ से आती हैं?हर पिक्चर में कुछ नया और अनोखा होता हैं ,अब "डरना मना हैं " को ही लीजिये ,मैंने अपनी जिन्दगी में कल्पनाशीलता की इतनी पराकाष्टा नही देखी । वर्मा साहब को सेवफल में भी भूत नज़र आता हैं । इतने सस्ते सेव मैंने अपने जीवन में नही देखे। यहाँ तो सेव फल १२० -१५० रुपये से कम नही मिलते वहां सिनेमा में १० रूपये किलो और साथ में भूत या बुरी आत्मा एकदम फ्री फ्री फ्री..... अब फूंक को ही देख लीजिये ,जिन बातो के बारे में घर परिवार में बच्चो के सामने बात तक नही होती वहां इस फ़िल्म में बच्चो को कहानी का मुख्य पात्र बनाकर टोना टोटका विषयक सारी बातें दर्शको को सविस्तार समझाई जाती हैं ।इस फूँक को देखकर अब बांसुरी को फूकने वाले कलाकारों से भी डर लगने लगा हैं । :-)
यह तो हुई राम गोपाल जी की पिक्चर की बात। लेकिन वास्तविक जिन्दगी में भी कई लोग हैं जो इसमें विश्वास रखते हैं ,सिर्फ़ विश्वास ही नही रखते ऐसे भयावह प्रयत्न करते भी हैं ,मजे की बात तो यह हैं की सिर्फ़ ग्रामीण इलाको में ही नही अच्छे भले पढ़े लिखे सुसभ्य नगरो में भी इस तरह की घटनाये होती हैं और बहुत ज्यादा होती हैं ,हर दूसरे दिन सड़क के बीचों बीच टोना टोटका से सम्बंधित वस्तुएं पड़ी होती हैं । निम्बू कितना सुंदर और रसीला फल हैं उसकी इमेज की तो इस टोना टोटका ने वाट लगा दी हैं ।
लोगो की जिन्दगी में इस टोनाटोटका का खौफ कम था, की इन्टरनेट वायरस ने उनके डर में और तड़का लगा दिया। जी हाँ ये वायरस किसी टोना टोटका से कम नही ,टोना टोटका क्या मुश्किल पैदा करेगा?उससे कहीं अधिक मुश्किल यह वायरस पैदा कर देता हैं। अब मेरी बात ही लीजिये ,१५ दिन हो गए कम से कम , ब्लॉग पर ज्यादा कुछ लिख ही नही पा रही हूँ। मेरा ब्लॉग वीणापाणी तो मेरी याद में रो रो के गा रहा हैं मेरी वीणा तुम बिन रोये .दरसल हुआ यह हैं की पता नही कैसे मेरे कंप्यूटर में बहुत से वायरस ,उसके जात भाई ट्रोजन और वार्म घुस गए हैं.कंप्यूटर पहले बीमार हुआ और अब मृत्यु के कगार पर पड़ा हैं , मैं और सॉफ्टवेयेर इन्जिनियेर लगभग हार चुके हैं अब तो ईश्वर की कृपा और आपकी दुआओं का ही सहारा हैं .कृपया मेरे कम्प्यूटर की सलामती के लिए ,उसके जीवन की रक्षा के लिए prarthanaa कीजिये .अन्यथा उसको कूडे दान में में फेकने के आलावा मेरे पास कोई चारा नही रहेगा .आज और पिछली कुछ पोस्ट्स पतिदेव के लैपटॉप से लिख रही हूँ ।
इन पंद्रह दिनों में विचार कर कर के थक गई हूँ की ,इन टोना टोटका करने वालो और इन वायरस सृजनकारो को ये सब करके हासिल क्याँ होता हैं ? कोनसा सुख ,लाभ ये प्राप्त कर लेते हैं ?दूसरो का बुरा कर ख़ुद का भला करने की यह मनोवृत्ति ,विकृतवृत्ती ही कहला सकती हैं ,मेरी नज़र में यह सब करने वाले लोग मानसिक बिमारियों से ग्रसित ही कहला सकते हैं । इसके मूल में होती हैं अपने सुख की उत्कट इच्छा और दूसरो के सुख से जलन । जो दूसरो के पास हैं हमारे पास क्यों नही हैं इसका दुःख .और उसकी दुःख से उपजे अवसाद की विकृत परिणिति होती हैं टोना टोटका और वायरस निर्माण ।ये वायरस निर्माता जो अत्यधिक बुद्धि के मालिक हैं वे अपनी बुद्धि का प्रयोग अच्छे कामो और ख़ुद के विकास के लिए करे तो उनका और औरो करो कितना भला हो सकता हैं .पर ये लोग यह न करते हुए न जाने कितने ही वायरसों का निर्माण कर देते हैं और दूसरो के कम्प्यूटर की ऐसी की तेसी कर खुश हो जाते हैं ।
सच कहूँ तो यह पढ़े लिखे कम्प्यूटर वायरस निर्माता ,टोना टोटका विशेषज्ञ के ही जात बंधू हैं । टोना टोटका या ब्लैक मेजिक करने वाले जहाँ निम्बू ,गुडिया ,नारियल ,आदि आदि से अपना काम चलाते हैं ये कम्प्यूटर भाषाओ को अपना औजार बनाते हैं ।
मेरी इन दोनों प्रकार के भाई बहनों से विनती हैं ,दूसरो का बुरा सोचने और करने से पहले निस्वार्थ होकर अपना भला सोचे और फ़िर भी यदि आपकी बुद्धि आपको यह सब करने के लिए प्रेरित करती हैं तो इसके पहले की आपको मानसिक बीमारियाँ पुरी तरह से अपनी जकड में ले ले आप किसी अच्छे मनोरोग विशेषज्ञ से अपना इलाज शुरू करवा दे ।
धन्यवाद !