वो ........जो पूरी पागल हैं ,जो बहुत प्यारी हैं ,
वो.......... जो मुझे हँसाती हैं,जो मुझे रुलाती हैं .
जाने क्या कह जाती हैं जाने क्या क्या सुनाती हैं ,
माँ माँ करते,माँ माँ कहते दिन दिन भर सताती हैं .
पर रात की चांदनी जैसे जीवन में उजियारा लाती हैं
बहती नदी सी कल कल, छल छल दिल को छल सी जाती हैं , मटक मटक कुछ फैलती आँखे ,आँखों में बस जाती हैं
. .
सुनहली किरणों जैसी जुल्फे यहाँ वहाँ लहराती हैं ,
आते जाते हर राही का मन मतवाला बनाती हैं,
कभी रूठती गाल फुलाती मुझे इतना सुहाती हैं ,
सारी दुनिया उस पर वारू क्यों इतना वह भाती हैं ?
बिखेरती जीवन में वह मेरे सुंदर स्वर्णिम हज़ार रंग,
उसके होने से लागे हर रंग इन्द्रधनुषी संग .
लगता हैं कभी- कभी जैसे सासों संग मेरी वह आती जाती ,
हर धडकन को ताल बना कर वह नाचती वह बलखाती .
हथेली पर लिए जान मेरी इधर भागती उधर दौड़ती .
गुस्सा कैसे करू मैं ?वह कहती माँ तू बहुत अच्छी हैं लगती .