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Wednesday, August 11, 2010

दुआए कबुल होती हैं ..........

कभी कभी कोई सुबह अपने स्वर्णिम रंगों के साथ एक सुखद आश्चर्य लेकर आती हैं .किसी सुबह आप जागते हैं रोज रोज का वही दिनक्रम बिताने ,किसी मशीन से यंत्रवत काम करते जाते हैं,पहाड़ सा दिन सामने होता हैं और मन सबसे उब चूका होता हैं .लेकिन तभी कोई ऐसी खबर मिलती हैं जो आपको आश्चर्य और ख़ुशी दोनों एक साथ दे जाती हैं ,ऐसा ही कुछ आज मेरे साथ हुआ.आरोही को स्कूल छोड़ कर आने के बाद जब मैंने कम्प्यूटर ऑन किया ,और आरोही ब्लॉग खोला तो देखा की आदरणीय अविनाश वाचस्पति जी का कमेन्ट आया हैं जिसमे उन्होंने बताया हैं की मेरी पोस्ट "खोये खोये से रिश्ते " http://aarohijivantarang.blogspot.com/2010/08/blog-post.html  आज दैनिक जनसत्ता में छपी हैं .बड़ा अच्छा लगता हैं जब अपने मन की भावनाए लोगो तक पहुँचती हैं ,लोग उन्हें समझते हैं .
 देखिये पेज नुम्बर 4 समांतर "खोये खोये से रिश्ते "
http://www.jansattaraipur.com/

अगर मुझे आप  सभी ब्लोगर्स का प्यार और आशीर्वाद,दुआए  नही मिलती  तो मैं कभी लिख नही पाती मैं आप सभीकी आभारी हूँ .
साथ  ही आभारी हूँ आदरणीय लावण्या जी ,रंजना दी ,अविनाश जी ,अजित दादा ,प्रवीण पाण्डेय जी,संगीता स्वरूप जी ,अभिषेक ओझा जी ,आशा जोगलेकर जी ,अनुराग जी ,डॉ.रामकुमार जी ,आशीष जी ,विनोद शुक्ल जी ,दिनेश राय द्विवेदी जी ,राज भाटिया जी ,अजय कुमार झा जी ,दीपक शुक्ल जी ,धीरू सिंह जी ,ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ,पंकज जी ,निर्मला कपिला जी ,समीरलाल जी ,शिवकुमार मिश्र,संजय भास्कर ,अनूप शुक्ल,महेंद्र मिश्र जी  और सभी पाठको और ब्लोगर्स से जिन्होंने समय समय पर अपनी टिप्पणियाँ देकर मुझे प्रोत्साहित किया .
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