कहते हैं बेटी माँ की परछाई होती हैं ,वो मेरी परछाई नही ,एक दैवीय ज्योति हैं,जो जीवन को प्रकाशित करती हैं मेरा ही चेहरा,मेरी शक्ति,शांति,संगती ,गीति,आरोही ....
Monday, November 24, 2008
जो सबको जीना सिखाये ....
शहर के एक छोटे पर नामचीन विद्यालय में बच्चो की भीड़ जुटी हुई हैं ,सब बच्चे प्रार्थना के लिए खड़े होते हैं और सुबह का प्रेरणा गीत शुरू होता हैं ,ख़ुद जिए सबको जीना सिखाये ,अपनी खुशिया चलो बाट आए...एक १२-१४ साल की लड़की खुशी से जोरो से यह गीत गा रही थी,चारो तरफ़ मानों खुशिया ही खुशिया बिखरी थी,की आचानक किसीने आवाज़ दी राधिका..........और मैं १२-१४ साल आगे वक़्त की गाड़ी में सवार प्रकाश से भी तेज़ गति में अपने आज में लौट आई ,आवाज़ देने वाली वही थी जो मुझे अपने साथ यहाँ खीच कर ले आई थी ,और अनजाने में अपने बचपन में चली गई थी ,यहाँ आज से पहले मैं कभी नही आई थी ,कहने को तो यह भी स्कूल था,यहाँ पर भी छोटे बच्चे पढ़ते थे ,पर उसने कहा था ,की यह स्पेशल बच्चो का स्कूल हैं ...मेरा बेटा स्पेशल हैं ...मतलब?मैं समझी नही थी ,शायद वह जीनियस होगा ..............। खैर .. यहाँ पहुँची तो मैंने कहा की मैं अन्दर आकर क्या करुँगी आप प्रिंसिपल से मिलकर आ जाओ,पर उसने कहा अरे इन बच्चो से मिलोगी नही?स्पेशल बच्चे हैं ...खैर अन्दर गई ,सब बच्चे हस रहे थे ,एक दुसरे से हिलमिल कर बाते कर रहे थे ,कुछ नाच रहे थे कुछ गा रहे थे ,कुछ खेल रहे थे और कुछ पढने का झूठा दिखावा कर रहे थे , बच्चों को खुशियों की बहार इसलिए ही कहा जाता हैं शायद...राधिका ...ये मेरा बेटा ... मुझे देखकर वह थोड़ा शरमाया ,फ़िर मुस्कुराया ,उसने कहा दीदी से हेलो बोलो ,वह कुछ तुतलाया ...जो कम से कम मुझे तो समझ नही आया,उसने कहा देखा ये सब बच्चे कितने स्पेशल हैं ...सच कितने प्यारे,कितने अच्छे वही सरलता, वही मासूमियत,वही भोलापन,वही बचपन ,वही सुंदरता,वही सादापन,पर उन्हें सबसे अलग बनती उनकी वही स्पेशलिटी .............. हाँ वही स्पेशलिटी जिसके कारण हम इन बच्चो को मानसिक विकलांग कहते हैं ...वही स्पेशलिटी जिसके कारण यह बच्चे और बच्चो से अलग दिखाई देते हैं ,वही स्पेशलिटी जो इनके जीवन को एक अलग ही रंग में रंग देती हैं ,जहाँ इनकी दुनिया अपनी ही गति में अपनीही तर्ज़ पर ताल देती हुई ,अपना संगीत ख़ुद ही लिखती और संसार से अलग खुदको सुनती सुनाती अपना पुरा जीवन बिताती हैं । ये वही स्पेशल बच्चे थे ,जो मानसिक कमियों के बावजूद उतनी ही खुशी से आनंद से और जज्बे से अपना जीवन बिता रहे थे,सीख रहे थे और सबको जीना सिखा रहे थे और वो उस स्पेशल बच्चे की स्पेशल माँ ,जो अपने बच्चे की कमी को स्पेशलिटी बताकर दुगुने प्यार ,ममता और जज्बे से अपने बच्चे को आने वाले कल के लिए मजबूत सक्षम बना रही थी ,जिन्दगी की सबसे कठिन परीक्षा को स्पेशल बताकर मुझे जीना सिखा रही थी......
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