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Wednesday, February 4, 2009

अहं ब्रह्मास्मि .......लॉटरी सिस्टम तय करता हैं आपके बच्चे का भविष्य .

सुबह से ही मेरे घर में उत्सव जैसा वातावरण था,पतिदेव जो कभी ८ बजे से पहले सोकर नही उठते ,उस दिन सुबह ५ बजे ही उठ गए . सुबह सुबह अख़बार पढ़ना चाहे सारे विश्व की आदत हो लेकिन मैं ऐसा भूल कर भी नही करती ,आख़िर अख़बार उठाते ही खून,हिंसा अत्याचार की खबरे पढ़कर क्यों अपना मन ख़राब करू ?लेकिन उस दिन सबेरे सबेरे चारो पांचो अख़बार पढ़ लिए ,न्यूज़ भी देख ली । आख़िर वह दिन हमारी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण दिन था ,हम पहली बार अपनी बेटी को स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए इंटरव्यू देने जा रहे थे ,बेटी ने तो इससे पहले ही दोनों इंटरव्यू सफलता पूर्वक दे दिए थे ,शहर के नामचीन और बहुत बडे विद्यालय ने उसे विद्यालय में दाखिला देने के काबिल भी घोषित कर दिया था ,अब हमारी बारी थी ,स्वयं को उसको पढाने के काबिल माता पिता सिद्ध करने की ।


वैसे तो पुरा विश्वास था हमें की हम इस इंटरव्यू को सफल बनायेंगे ,क्योकी हम दोनों ने ही उच्च शिक्षा ग्रहण की हैं ,पतिदेव भी अच्छी कंपनी में ,अच्छे ओहदे पर काम करते हैं ।

खैर नियत समय से १५ मिनिट पहले हम विद्यालय पहुँच गए ,विद्यालय की प्रिंसिपल साहिबा हमारा इंटरव्यू लेने वाली थी ,जिसे उन्होंने बडी कलात्मकता से अभिभावक परिचय समारोह का नाम दिया था ,वह किसी फोटो कार्यक्रम में वयस्त थी। हम लोग करीब १ घंटा उनका इंतजार करते रहे ,इतने समय में अभिभावकों की खासी भीड़ विद्यालय में जमा हो गई ,घंटे भर बाद एक -एक कर प्रिंसिपल साहिबा ने अभिभावकों को मिलने के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया ,हर एक को मिनिट के अंदर बडे प्यार से विदाई भी दे दी । हम समझ नही पा रहे थे की इतनी जल्दी प्रिंसिपल साहिबा ,अभिभावको के बारे क्या जान पा रही हैं ,खैर हमारी बारी आने पर प्रिंसिपल से मिलने उनके कक्ष में गए ,बडे प्यार से उन्होंने हमें बिठाया ,मुझे पूछा "अच्छा तो आपने अभी अभी संगीत विषय में पीएचडी की हैं" ?पतिदेव से भी इस तरह से दो तीन सवाल पूछे और हमें विदा दी ।

हम बडे खुश थे और विश्वास भी हो गया था की बस अब इस विद्यालय में हमारी बेटी का दाखिला हो जाएगा ,नियत दिवस पर विद्यालय में भरती किए गए छात्रों की सूचि देखने मैं पहुची ,चार पॉँच बार पुरी लिस्ट पढने के बाद भी आरोही का नाम कहीं नही दिखा

रास्ते भर सोचती रही की पतिदेव को कैसे बताऊ ,वो बहुत दुखी हो जायेंगे । खैर उन्हें बताना तो था ही बता दिया ,उस दिन से लेकर तीन दिन तक हम सोचते रहे की हमारे बोलचाल में ,वह्य्वार में ,शिक्षण में ,घर की आर्थिक वयवस्था में प्रिंसिपल साहिबा को क्या कमी दिखी की आरोही का दाखिला उस विद्यालय में नही हो पाया ,हम दोनों दुखी थे । इस कारण नही ,की उस विद्यालय में आरोही का दाखिला नही हुआ ,बल्कि इस कारण की हमारी वजह से आरोही को उस स्कूल में दाखिला नही मिला

अलबत्ता हम दोनों ने तय किया की प्रिंसिपल साहिबा से पूछेंगे जरुर की उन्हें हमारे शैक्षणिक स्तर ,आर्थिक स्तर में कहाँ कमी दिखी . ताकि अगले किसी विद्यालय में इस घटना की पुनरावृत्ति न हो ।

मैं अगले दिन विद्यालय पहुँची और कहा की" प्रिंसिपल से मिलना हैं "।
रिसेप्शनिस्ट ने पूछा " क्यो किसलिए "?
बच्चे के विद्यालय में दाखिले संबंध में ।
जो लिस्ट लगी हैं वह फायनल हैं ,आप प्रिंसिपल से नही मिल सकती ।
देखिये मैं उसका दाखिला नही करवाना चाहती ,बस जानना चाहती हूँ की किस कारण से दाखिला नही हुआ ?
उसका कोई कारण नही हैं ।
कुछ तो कारण होगा ।
कहा न ,कोई कारण नही हैं ।
अरे ,पर आपने भी तो विद्यालय में भरती किए जाने वाले बच्चो का चुनाव किसी आधार पर किया होगा न ?
नही कोई आधार नही ।
मैं जानना चाहती हूँ की हमारे इंटरव्यू में कहाँ कमी रह गई ?मुझे प्रिंसिपल से मिलना हैं ।
कोई कमी नही रह गई इंटरव्यू में ,बच्चा भी होशियार है ।
तो माता पिता शायद नही ?मैंने कहा ।
नही ऐसा नही हैं ?
तो फ़िर क्या कारण हैं ?
कुछ भी नही ।
बच्चो का दाखिला किस आधार पर करते हैं ?
कोई आधार तय नही हैं ,कुछ लॉटरी की तरह होता हैं
लॉटरी की तरह!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ?
हाँ वैसा ही कुछ ।
मैं प्रिंसिपल से मिलना चाहती हूँ ।
आप नही मिल सकती ।
क्यो ????
नही ।

इस बीच मेरी ही तरह प्रश्न लिए कुछ और माता पिता भी वहाँ एकत्रित हो गए . सबने मिल कर विशेष आग्रह किया ,घंटे भर इंतजार करने को भी तैयार हो गए ,तब जाकर प्रिंसिपल साहिबा मिलने को तैयार हुई ।
मैंने जाकर बडी विनम्रता से अपने सवाल दोहराए ।

मेरे आश्चर्य की सारी सीमाए समाप्त हो गई जब प्रिंसिपल साहिबा ने भी यही जवाब दिया की हम लॉटरी सिस्टम की तरह ही किसी सिस्टम से बच्चे विद्यालय में दाखिला देने के लिए चुनते हैं
मैंने गंभीर होकर पूछा क्यो?
जवाब मिला इतने विद्यार्थीयो के फॉर्म आते हैं ,किसे चुने किसे नही सभीके माता पिता उच्च शिक्षा प्राप्त ।५० फॉर्म चुन कर लॉटरी करते हैं । आप ही बताये ,क्या आधार रखे .आपको विद्यालय के निर्णय पर विश्वास करना चाहिए
मैंने कहा की फ़िर आप सौ में से ५० फॉर्म चुनने के बजाय १५ ही चुने जिन्हें आप वाकई दाखिला देने के काबिल समझते हैं । परिवार की आर्थिक स्थिति ,शिक्षण आदि बातो को अगर आप आधार नही मानते तो इतने इंटरव्यूस की क्या जरुरत हैं ?
इस बार वह निरुत्तर थी . मैं धन्यवाद कह कर वहाँ से चली आई .
मेरी एक सहेली से जो एक बडे विद्यालय में बडे ओहदे पर हैं ,पूछने पर पता चला की सिर्फ़ उसी विद्यालय में नही बल्कि अन्य नामी विद्यालयों में भी इसी तरह से बच्चो को दाखिला दिया जाता हैं .
मैं सोचने लगी की यह हमारे बच्चो के भाग्य विधाता स्वयं को "अहं ब्रह्मास्मि "कह कर हमारे बच्चो के भविष्य से खेलते हैं ,शिक्षा का कैसा स्वरुप हैं यह ? आम इंसान अपने बच्चो को ऊँची फीस देने की तैयारी रखकर भी अच्छे विद्यालय में नही पढ़वा सकता ,यह कैसी विडम्बना हैं ?
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