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Thursday, January 19, 2012

जीने की वजह .........


वैरी गुड morning .....

कभी कभी सुबह की पहली किरण हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजाकर हमारे हाथ में कुछ तोहफे दे जाती हैं ...
सुंदर ..सलोने चमकदार कागज़ के एक लिफाफे में बंद होती हैं हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी चाहत ...हमारी खुशियाँ ..
लिफाफा खोलते ही स्वर्णिम किरणों सी हमारी हथेलियों में समां जाती हैं और कहती हैं ..जिंदगी बड़ी खुबसूरत हैं ...बड़ी अनोखी ..
खुशियाँ...जिन्हें हम ढूंढते रहते हैं ताउम्र रिश्तों में ,नातों में ,मान - सन्मानों में ,कभी छोटी बड़ी चीजों में ,कभी गीत संगीत में ...
किसी दिन वहीँ खुशियाँ हमें कानों में आकर कहती हैं ...आँख पर लगी पट्टी खोलो और यह छुपम छुपाई का खेल बंद करो ...हम तुम्हारे साथ हैं ,तुम्हारे पास ..
 मन पर लगी दुःख की ,कुछ पाने की बंदिशें तोड़ ,कभी किसी सुबह कोई गीत युहीं गुनगुना लो ...किसी को देख बस मुस्कुरालो .किसी के आँखों का आंसू मोती बना अपनी मुट्ठी में छुपा लो ...खिलखिला कर हमारी संजीवनी हमें लौटा दो...

कारणों और वजहों से बने मोटे मोटे सुनहले पर्दों में हम नही छुपा करती ..हम तो नजरो के सामने ,जीवन के साथ साथ दौड़ा करती हैं ...
सच खुशियों की कोई वजह नही होती .....
लेकिन जीने की वजह होती हैं ...
ख़ुशीयां ..
खुशियाँ जो बिना किसी वजह के कारण के बिन मोल पाई जा सकती हैं दी जा सकती  हैं ..

भगवान करे आने वाली हर सुबह हम सबको ढेर सारी खुशियाँ दे ...
सुबह की हल्की सी धुप में एक आशा की किरण हो,
हो जिससे रोशन हर जीवन ऐसी कोई लगन हो ,
मुस्कुराता गुनगुनाता खिलखिलाता सा मन हो ,
निखरी निखरी सी जिंदगी,सुरभित ह्रदय सुमन हो ..
..
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