कहते हैं बेटी माँ की परछाई होती हैं ,वो मेरी परछाई नही ,एक दैवीय ज्योति हैं,जो जीवन को प्रकाशित करती हैं मेरा ही चेहरा,मेरी शक्ति,शांति,संगती ,गीति,आरोही ....
मार्केट में बेबी बाथ टब देखकर आरोही ने कहा "माँ मुझे यह बाथ टब खरीदकर दो" ,मैंने कहा:" बेटा तुम्हारे पास हैं ऐसा बाथ टब ",अगली बार पुन:आरोही ने वही बात कही,मैंने भी फिर वही दोहराया .तीसरी बार फिर उसने वही बात कही ,मैंने स्वाभाविक रूप से वही दोहराया
इस बार उसने प्रति उत्तर में कहा :माँ जब तुम एक ही जैसी दो दो " विचित्र वीणा " खरीद सकती हो तो मैं एक जैसे दो बाथ टब क्यों नही खरीद सकती