शादी .......एक ऐसा शब्द जिससे जुड़ी होती हैं न जाने कितनी जिंदगियाँ ,नए पुराने रिश्ते ,प्यार और विश्वास । शादी...............जब बच्चे यह शब्द सुनते हैं तो उनके नज़रो के सामने होता हैं अच्छा सा खाना ,धूम धडाका ।मौज मस्ती ,और अपने हमउम्र भाई बहिनों से खेलने का एक सुंदर मौका ,जहाँ कोई पढ़ाई की बात तक नही करता ।
शादी.............जब युवतियाँ यह शब्द सुनती हैं तो कल्पना की दुनियाँ में खो जाती हैं ,जहाँ होता हैं उनके सपनो का राजकुमार ,सात जन्मो का प्यारा सा बंधन,मंगलसूत्र का विश्वास ,और सात वचनों का साथ ।
जब माँ, दादी ,काका ,ताया यह शब्द सुनते हैं तो उन्हें उनके साथ होती हैं कुछ यादें,बेटी की विदाई से ढलकने वाले आंसू और बहूँ के आगमन से मिली खुशी ।
शादी ....समाज व्यवस्था की सबसे सुंदर परम्परा । जो देती हैं दो जिंदगियों को जीने की नई दिशा , एक साथी ,एक सहारा ।एक मित्र ,और कोई अपना ।भारत में कई हजारो वर्षो से यह परम्परा अस्तित्व में हैं , हमारे यहाँ माता पिता की इच्छा अनुसार विवाह हुए , बेटियो ने स्वयं की इच्छा से भी विवाह किए ,पार्वती माँ के विवाह गाथा और कृष्ण रुक्मणी के प्रेम विवाह की कथा से कौन अपरिचित हैं ।पर कभी कभी सोचती हूँ की यह विवाह प्रथा जब शुरू हुई तब इसमे जो पवित्रता ,सादगी और सच्चाई होगी वह आजकल के विवाह में देखने को नही मिलती । हमारे देश में जहाँ सीता और सावित्री जैसी सतियाँ हुई हैं ,जहाँ शिव और विष्णु जैसे पति हुए हैं,जहाँ विवाह को जन्मों का साथ समझा जाता रहा हैं ,वहाँ विवाह, हल्की सी आंधी और छोटे से तूफान से बिखरकर टूट रहे हैं । मैं यह नही कहती की स्त्री की गलती हैं या पुरूष की गलती हैं , दोनों ग़लत हो सकते हैं ,और कभी कभी जिन्दगी में फ़िर से सुख शांति लाने के लिए ऐसा करना जरुरी भी हो जाता हैं .लेकिन यह बात सच हैं की कहीं न कहीं एक दुसरे के विचारों के साथ तालमेल बिठाने की इच्छा में कमी आई हैं ,एक दुसरे को समझने की कोशिश में कमी आई हैं । एक दुसरे के विचारो को ,सोच को मान सन्मान देने में कमी आई हैं इसलिए धडाधड तलाक़ हो रहे हैं .किसी भी रिश्ते में तालमेल बिठाना किसी एक पक्ष का काम नही हैं यह दोनों पक्षों की तीव्र इच्छा शक्ति , प्रेम और विश्वास के द्वारा ही सम्भव हैं ,वरना रिश्ते युहीं खत्म होने लगते हैं ।यह तो हुई शादी निभाने की बात ,दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा शादी के सही अर्थ को लेकर हैं ,यहाँ मैं शादी के शाब्दिक अर्थ की बात नही कर रही ,शादी होती हैं दो दिलो का बंधन ,दो परिवारों का जुडाव ,दो जिंदगियों का एक नवीन जीवन में पदार्पण,पर कुछ लोग इसे पैसे देने लेने का खेल समझते हैं। दहेज़ प्रथा के विरुद्ध न जाने कितनी कोशिशे हुई,कानून बने ,पर यह प्रथा आज भी हमारे समाज को घुन की तरह खायी जा रही हैं,रिश्तो के इस बाज़ार में रिश्तो के दाम लगाये जाते हैं ,लड़का डॉक्टर हुआ तो २० लाख दहेज़ ,इंजिनियर हुआ तो २२ लाख ,बिजनेस करता हो तो ५० लाख आदि आदि। मैंने अपनी कई सुंदर और होशियार सहेलियों को सिर्फ़ इसलिए अच्छी उम्र तक कुंवारी बैठे देखा हैं क्योंकि उनके पापा के पास इतने पैसे नही हैं ,बताए पैसो से तोले गए इस रिश्ते में कभी वो प्यार ,विश्वासकी भावना सम्भव हैं ?शादी आजकल पर्याय बन गई हैं लाखो रूपये खर्चने का ,बड़े बड़े होटलों में शादियाँ हो रही हैं ,न जाने कितने प्रकार के भोजन बन रहे हैं ,न जाने किन किन रिश्तेदारों को जिन्हें शायद दूल्हा ,दुल्हन भी ठीक से नही पहचानते,कपड़े और उपहार दिए जा रहे हैं । न जाने कितने ताम झाम किए जा रहे हैं ,हजारो रूपये के मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा हैं । और इस दिखावे में तमाम खाना फेका जा रहा हैं । न जाने कितने पैसो का दुर्वय्य हो रहा हैं । माता पिता की कमर टूट रही हैं ।आजकल नया चलन चला हैं ,कुछ लोगो को शादी में किसी विशेष व्यक्तिमत्व का रूप देकर सजाया जाता हैं,जैसे राम, कृष्ण ,गांधीजी,वकील,नेता आदि और घंटो बिना हिले डुले खड़ा कर दिया जाता हैं,वे लोग पलक तक नही झपकते इतने घंटो,उन्हें देखकर बच्चे तालियाँ बजाते हैं,बड़े खुश होते हैं ,और आयोजक अपने गरिमामय आयोजन से गर्वान्वित अनुभव करते हैं .पर इन सब पैसो के खेल में इंसानियत मर जाती हैं ,पैसे की आवश्यकता इन्सान से कोई भी काम करवाती हैं,पर पैसे वालो को सोचना चाहिए की वे क्या काम करवा रहे हैं ।मुझे लगता हैं की शादी को अविस्मरणीय बनाने के लिए रिश्तो में समझ की, प्रेम की,सादगी की, सरलता की जरुरत होती हैं ,न की पैसा फुकने की ,दिखावे की ,क्योंकि दिखावे के आधार पर बने रिश्तो की ईमारत ज्यादा नही टिकती,फ़िर भी पैसे खर्च करने हैं तो जरुर करे पर उसका अप्वय्य न हो इसका ख्याल रखा जाना चाहिए । नही तो शादी ,शादी कम बर्बादी ज्यादा लगती हैं ।
सधन्यवाद ।
Radhika ji...
ReplyDeleteachcha or sachcha likha hai
बहुत गुस्सा आता है, ये बर्बादी देख कर..
ReplyDeleteto get married and to remain married need understanding
ReplyDeletegreat work
the parrllel lines never join but they take any load when their is understanding
regards
किसी भी रिश्ते में तालमेल बिठाना किसी एक पक्ष का काम नही हैं यह दोनों पक्षों की तीव्र इच्छा शक्ति , प्रेम और विश्वास के द्वारा ही सम्भव हैं ,वरना रिश्ते युहीं खत्म होने लगते हैं ।
ReplyDelete"लड़का डॉक्टर हुआ तो २० लाख दहेज़ ,इंजिनियर हुआ तो २२ लाख ,बिजनेस करता हो तो ५० लाख आदि आदि।"
ReplyDeleteइन्फ्लेसन के हिसाब से रेट कुछ कम लग रहे हैं :-)
अच्छा विश्लेषण किया है आपने.
शादी के समारोह को सादगी की ओर प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteये मुद्दा सही उठाया आपने ..
ReplyDeleteपर शादियाँ हर परिवार
अपनी मरजी से करता है ~~
- लावण्या
bahut accha.
ReplyDeleteअच्छा विश्लेषण!!
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा पोस्ट.. आपकी लेखन शैली की तो मैं पहले भी तारीफ़ कर चुका हू.. बहुत बढ़िया है..
ReplyDeleteवर्तमान में शादी के समस्त पहलुओं पर अच्छा विश्लेषण किया आपने....सचमुच ऐसी शादियाँ बर्बादी ही हैं!
ReplyDeleteयह रेट्स कितने बरस पहले के हैं? हमारे यहाँ आन्ध्र प्रदेश में दूल्हे के ताजा रेट्स हैं एक के लेकर तीन करोड से, वह भी उस हालत में जब लड़की खुद बीस से साठ हजार रुपये महीने के कमाती हो?
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