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Tuesday, September 30, 2008

नारी :शक्ति,बुद्धि,लक्ष्मी स्वरूपा,कल आज और कल

या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्तिथा नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्तिथा नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्तिथा नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नम:।।
हिंदू धर्म में देवी के इसी तरह अनंत रूप माने गए हैं ,वह शांति रूपा हैं ,कला रूपा हैं ,भक्ति रूपा हैं ,प्रेम स्वरूपा हैं , वह लज्जा ,कांति,श्रद्धा,दया ,स्मृति ,मातृ रूपा हैं , वह श्रेष्ट हैं ,आदि हैं ,अनादी हैं ,सारे ब्रह्मांड की जननी हैं क्योकी वह नारी हैं । नारी शक्ति रूपिणी हैं ,दया, माया प्रेम की अदिष्ठात्री देवी हैं इसलिए वह पूज्य हैं । नवरात्री आते ही भारतीय संस्कारो में विश्वास रखने वाली सभी नारियाँ देवी पूजा में तल्लीन हो जाती हैं , माता पार्वती के अनेक रूपों की पूजा गुजरात ,बंगाल,महाराष्ट्र व देश के अन्य हिस्सों में भक्तिभाव से की जाती हैं । प्राचीन काल से भारतीय नारी स्वयं में एक उदाहरण और आदर्श रही हैं ,वह कभी सीता हुई ,कभी सावित्री ,कभी द्रौपदी,कभी मेत्रर्यी,कभी गार्गी ,कभी मीरा ,कभी भगिनी निवेदिता ,कभी शिवाजी को गढ़ने वाली जीजा बाई ,कभी अंग्रेजो से लड़ने वाली झाँसीवाली ,कभी महारानी अवंती बाई ,कभी सरोजनी नायडू ,कभी गांधीजी की अर्धांगिनी कस्तूरबा गाँधी,जिन्होंने गांधीजी को जीवन के हर कदम पर साथ दिया ,कभी सावित्री बाई फूले ,कल्पना चावला ,कभी गायिका एम्.एस .शुभलक्ष्मी ,यामिनी कृष्णमूर्ति,हीरा बाई बडोदेकर ,लता मंगेशकर ,इंदिरा गाँधी ,बेगम अख्तर ,अनीता देसाई, और कभी किरण बेदी । यह तो सिर्फ़ उदाहरण मात्र हैं ,इनके आलवा भी कितनी ही नारियों ने नारी जाती का गौरव बढाया हैं ,ईश्वर ने नारी को सदा ही अनंत गुणों का भंडार दिया हैं ,वह शारीरिक दृष्टि से भले ही कमजोर हो किंतु उसमे भरपूर आत्मिक और नैतिक बल हैं ,और इसी बल के सहारे वह आज तक स्वयं को साबित करती आई हैं । भारतीय नारी पूज्य ,हैं गौरव शालिनी हैं तो उसमे समाये भारतीय जीवन मूल्यों ,आदर्शो और गुणों के कारण,इन्ही के कारण वह औरो से अलग हैं ,श्रेष्ठ हैं ,पूज्य हैं । किंतु आजकल कुछ लड़कियों को देखती हूँ जो सिर्फ़ आधुनिकता के चलते अपने आत्मिक और नैतिक ,सात्विक गुणों को तिलांजलि दे देती हैं तो दुःख होता हैं ,दुःख होता हैं की यह विश्व की श्रद्धा धुरी माँ भारती की सुपुत्रीयां हैं । आजकल हर कोई समय से आगे भागना चाहता हैं ,समय से पहले जीतना चाहता हैं ,अपनी ही धुन पर जीवन की सुर पेटी को बजाना चाहता हैं ,भटकाव की आंधी भारतीय संस्कृति ,सभ्यता को स्वयं में छुपा रही हैं ,और इस आंधी में भटकती भारतीय संन्नारियां अपना वजूद खो रही हैं ।जीवन जीना एक कला हैं ,उसे एक उद्देश्य और अर्थ प्रदान करना कलाकारी। कोई भी कला धैर्य ,और समय मांगती हैं लगन मांगती हैं ,इसलिए उन महिलाओ से जो इस अंधी दौड़ में आँख बंद कर के भाग रही हैं ,या वे जिन्हें अपनी शक्तियों ,क्षमताओ का पूर्ण ज्ञान न होने से कठिन रास्तो पर लडखडा कर गिर रही हैं उनसे अनुरोध हैं ,की जाने की वे जिस देवी की पूजा कर रही हैं ,वो देवी किसी मन्दिर या मूर्ति में नही स्वयं उनकेआत्मा में निवास कर रही हैं ,तभी वे नारी के सही रूप को जान पाएँगी,और देवी की सही पूजा कर पाएँगी .आज भी उनके लिए प्रेरणा स्वरुप कितनी ही नारिया भारत को गर्वान्वित कर रही हैं ,और अपने जीवन को सही तरीके से जीकर सफल बना रही हैं । आख़िर स्त्रियों पर ही कल की नारियाँ और भविष्य की देवियाँ गढ़ने की जिम्मेदारी हैं मैं चाहती हूँ की आने पीढीयाँ ह्रदय से गाये "त्वं ही दुर्गा दश प्रहरण धारिणी ,कमला कमल दल विहारिनिम ,वाणीर विद्या दायिनी ,नमामि त्वं नमामि कमलां अमलां अतुलाम..........................."

18 comments:

  1. uttam post... sadhuwaad! saadhuwad!

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  2. आपकी विचारों ने अभिभूत कर दिया.बहुत सही लिखा है आपने.

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  3. बहुत शानदार पोस्ट. विचारों की श्रृंखला अद्भुत है.

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  4. naari ko is desh nae
    devi keh kar daasi jaana haen
    jisko koi adhikaar naa ho
    wo ghar ki raani maana haen

    esi aazadi tum mst lena
    tohin ho jo eemaan ki

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  5. अच्छी पोस्ट !
    भारत की नारी सदा से महान है,
    और सदा रहेगी !
    - लावण्या

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  6. ऊं वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: निर्विघ्‍नं कुरुं मे देव सर्व कार्येशु सर्वदा

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  7. श्री कुश जी ,सुश्री रंजना जी ,सुश्री सीमा जी ,श्री शिव कुमार मिश्रा जी ,सुश्री लावण्या जी ,श्री मोहन वशिष्ठ जी ,आप सभी ने जो प्रेरणादाई टिप्पणिया दी उनके लिए धन्यवाद,anonymous जी आपसे क्या कहूँ?बात यहाँ नारी स्वतंत्रता की नही हो रही ,बात हैं नारी शक्ति की ,नारी के देवी स्वरुप की . किसने कहा की देवी सामान नारी वही कहलाई हैं जो पुरुषों की दासी हैं .मैंने जीन नारियों के उदाहरण दिए हैं ,वो वाकई श्रेष्ठ हैं ,हर बार बात नारी की आज़ादी और पुरूष के विरोध पर आकर क्यों रुक जाती हैं मुझे समझ नही आता . नारी शक्ति स्वरुप हैं और उसके गुणों की शक्ति की जब उसे पहचान होगी तभी तो वो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगी.यह स्वतंत्रता पुरूष से, समाज से ही नही अपने कम आत्मविश्वास से भी होगी .जो सबसे बढ़ कर हैं . भारतीय नारी होने का अर्थ परतंत्र होना या पुरुषों की दासी होना नही हैं . भारतीय नारी के इस अर्थ पर मुझे रोने को मन करता हैं .इस देश में नारियों के साथ जो ग़लत हुआ हैं उसे ठीक करने के लिए हम भारतीयता और भारतीय नारी के गौरव का असन्मान नही कर सकते ,आपकी इस टिप्पणी को पढ़ मुझे ह्रदय से दुःख हुआ ,की आज भी कितने लोग भारतीय नारी होने की गरिमा को ,नारी शक्ति को ,नही समझ पा रहे .

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  8. nari tum keval shraddha ho vishvas rajat nag pag tal me, piyush shrot si baha karo jivan ke sundar samtal men- kitna sahi kaha hai jayshankar prasad ne.

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  9. बहुत ही बेहतरीन पोस्ट है यह .शुक्रिया

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  10. आपके विचारों से एकदम सहमत हूँ । सुंदर पोस्ट।

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  11. Lekin Aaj ki Bhartiya naari western Hoti jaa rahi hai, aur garv karti hai, ki woh western style apna rahi , hai to Hum bhartiya log kaise aise logon ki Vandan kar sakte hain

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  12. भारतीय नारी महान थी , अपने त्याग से , बलिदान से , कर्म से , नेत्रत्व क्षमता से , न कि पराधीनता से , नारी को कोई पराधीन कर ही नहीं सकता क्यों कि वोह एक सक्ति हैं , और सक्ति पराधीन नहीं हो सकती,अतः यह विचार त्याग दें , लेकिन जब भी कोई शक्ति दिशा विहीन होने लगे ,तो वोह शक्ति विनाशक हो जाती है
    अतः नारी भी आपनी मर्यादा बना के रखेगी तो पूज्य है , और अगर मर्यादा विहीन हैं तो उसके लिए मेरे पास उचित शब्द नहीं हैं , आदर्श नारी को कोई भी पराधीन नहीं कर सकता , कोई भी पुरुष उसके तेज के सामने खड़ा नहीं हो सकता , तो शोषण कैसे कर सकता है,

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  13. Dr.Radhika ,i must say..your article is superb...The indian lady is so Gracious that nobody could stand before her..but the point of view of AKMISHRA is also considerable..now a days Indian women r becoming western..nd really they feel proud in this and this is really sad..understanding and learning other's culture is good but to forget own is bad.....

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  16. कहते हैं बेटी माँ की परछाई होती हैं ,वो मेरी परछाई नही ,एक दैवीय ज्योति हैं,जो जीवन को प्रकाशित करती हैं मेरा ही चेहरा,मेरी शक्ति,शांति,संगती ,गीति,आरोही ....

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  17. samaj me aaj bhi nari ko vah asthan nahi mila jiski vah hakdar hai samaj kuch tathakathit thekedaro ne nari ke swabhiman ki rakcha ka natak kiya hai parantu ve parde piche se uska sosan karte aye hai yeh upmanjanak hai...

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