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Monday, September 1, 2008

chat with गणपति बप्पा. ..बप्पा says..मुझे धरती पर नही आना



आज सुबह ४ बजे उठी .पता नही क्यों ,रोज की तरह वीणा बजाने का मन नही हुआ,सोचा mail चेक कर लू ,जैसे ही ईमेल id डाल कर इन्बोक्स ओपन किया ,देखा क्या?chat आप्शन में गणपति बप्पा के नाम के आगे ग्रीन साइन हैं,यानि बप्पा chat के लिए अवेलेबल ,फटाफट उनके नाम के आगे क्लिक किया और लिखा..

hi बप्पा.
बप्पा says: ओ hi राधिका बेटी ,how r u ?आज रियाज़ नही कर रही सुबह सुबह ?
me: अरे बप्पा आज पता नही मूड नही बन रहा,मैं मजे में हूँ ,आप बताओ सुबह सुबह chat पर कैसे ?
बप्पा : मुझे तो यही समय मिलता हैं ,बाकी दिन भर तो सब भक्तो की प्रोब्लम सुलझाते -सुलझाते ही चला जाता हैं,अभी जरा कार्तिकेय से बात कर रहा था .
me: ok,अरे हाँ! आप तो कल आ रहे हैं न यहाँ . I mean धरती पर ,सब जगह बहुत तैयारिया हो रही हैं ,आपके स्वागत की .
बप्पा: उस बारे में कुछ मत पूछो,उस वजह से कल से माता पारवती मुझसे नाराज़ हैं .
me: क्यों ?क्या हुआ?मम्मा क्यो नाराज़ हो रही हैं?आपने कुछ कहा ?
बप्पा : हाँ न !मैंने कह दिया की इस बार गणेश चतुर्थी पर मृत्यु लोक यानि तुन्हारी धरती पर नही जाऊंगा .
me: ओ भाई साहब !!!!!!!!!!ऐसे क्यो कर रहे हो बप्पा?हमसे कुछ गलती हो गई क्या?किस बात से इतना नाराज़ हो?
बप्पा : एक बात हो तो बताऊ.
me: फ़िर भी कुछ तो बोलो .हम सब तो इतनी तैयारी कर रहे हैं ,आपके आने की .
बप्पा: यही तो रोना हैं .
me: मतलब?
बप्पा: अरे यार,देखो हर बार मैं वहां आता हूँ ,और मेरा जीना दूभर हो जाता हैं .
me: क्यो?क्यो?
बप्पा: मेरी बड़ी बड़ी मुर्तिया बनाकर मुझे हर चौराहे पर ,बिठाल देते हैं तुम्हारे सब भाई बंधू .
आते जाते वाहनों की दिन भर की आवाज़ ,और प्रदुषण के मारे मेरा दम घुटने लगता हैं .
me: सही हैं बप्पा तुम्हारा .और कोई प्रॉब्लम ?
बप्पा: और सुनो ,सुबह सुबह 4 बजे तो मैं उठ ही जाता हूँ ,यहाँ होता हूँ या किसी मन्दिर में तो,किसी शंख ,घंटी ,गीत की आवाज़ से नींद खुलती हैं ,वहां सुबह सुबह कचरे वाला बड़ा सा झाडू लेकर सड़क पर आता हैं ,आधी धुल मेरे उपर उड़ती हैं ,फ़िर वही गन्दी वाहनों की आवाज़.थोडी देर बाद भक्त आते हैं,फूल वोल्यूम में गाने लगा देते हैं.
me: तो क्या हुआ उसमे ?तुम्हे तो संगीत बहुत पसंद हैं न ?
बप्पा: वही तो ! मुझे संगीत बहुत पसंद हैं ,दुर्गीत नही .ये सबके सब इतने जोर से बजाते हैं की मेरे इतने बड़े बड़े कानो के परदे भी हिल जाते हैं.
बप्पा: और तुम्हे याद हैं ,दो साल पहले भाजी मंडी में तुम गई थी ,गणपति उत्सव के दौरान ?
me: हाँ याद हैं तो ?
बप्पा: वहाँ भी मुझे बिठाया था ,सब मूवी के गानों पर मेरा नाम ले ले कर पैरोडी बनाई थी,वह रिकॉर्ड लगा था,तब एक बहुत ही प्रचलित गंदे गाने के संगीत पर, मेरे उपर कविता लिखकर, उस धुन पर बिठा कर बजाया जा रहा था ,और थोडी देर बाद कैसेट बदल कर मूवी सोंग्स लगा दिए गए वह भी घटिया .तुम्हे बहुत बुरा लगा था .सही कह रहा हूँ न?
me: सही कहा बप्पा ,मुझे बहुत दुःख हुआ था.
बप्पा: तो सोचो क्या मुझे न होता होगा?क्या चार सुरों की सीधी - साधी सरल सी धुन नही बना पाते मेरे लिए,मैं मान ही नही सकता की भारतीय इतने संगीतहीन हैं .
me: सही हैं .
बप्पा: छोटे बच्चे,बडे लोग सब इन्ही गानों पर नाच नाच कर मुझे शर्मिंदा करते हैं . पहले अच्छा गाना बजाना हुआ करता था ,भजन होते थे,अच्छी प्रतियोगिताए होती थी.
me: ठीक हैं आपका,पर कही कही तो आज भी अच्छा हो रहा हैं न?
बप्पा : पर उससे दुगुना ग़लत हो रहा हैं न! मैं कैसे आऊ?
me: ok यह भी सही हैं .और बोलो ?
बप्पा: विसर्जन के दिन मुझे उठाते भी नही बनता ,बहा देते हैं किसी नदी तालाब में,अब मेरी मूर्ति माटी की तो कम ही बनती हैं ,प्लास्टर और अन्य की ज्यादा ,नदी गन्दी हो जाती हैं ,बिचारे पानी के अंदर के जिव जंतु मरते हैं ,मुझे ऐसे गिराते हैं की मेरे हाथ पैर टूटते हैं वह अलग .
me: क्या बोलू अब ?सारी बाते सही हैं तुम्हारी .
बप्पा: अभी एक जगह चॉकलेट की मूर्ति बनाई हैं मेरी .
me: हाँ पढ़ा .
बप्पा: अब सब बच्चे मुझे ललचाई नजरो से देखेंगे.
me: हा हा हा हा :-)
बप्पा : हंसो मत ,बिचारे सोचेंगे ,हमे तो खाने को भी नही देते बप्पा ख़ुद पहने फिरते हैं . राधिका , दुनिया में कितने ही बच्चे रोज़ भूख से तड़प कर मर जाते हैं,कितनो ने ही चोकलेट का स्वाद भी नही चखा ,ये मेरी मूर्ति विसर्जित करेंगे सब चोकलेट बर्बाद हो जाएगा.
तुम भी माँ हो किसी की .क्या तुम्हे अच्छा लगेगा की बच्चो को खाने को नही और तुम खाओ ,सजो ?.....
बोलो?...........
me: sory बप्पा ,पर बिल्कुल नही .
बप्पा: लोकमान्य तिलक जी ने राष्ट्रिय एकता के उद्देश्य से गणपति उत्सव शुरू किया था ,पर सब मनुष्य आज सिर्फ़ मजे और स्वार्थ के लिए उत्सव मना रहे हैं,मेरे लिए प्रेम भी कम ही हैं .सब सोचते हैं बप्पा हैं जो जी में आए करो,पर जिस बप्पा ने तुम्हे ह्रदय दिया हैं उसका भी एक ह्रदय हैं ,जिसे बस सच्चा प्रेम चाहिए,प्यार भरा एक फुल चाहिए,सच्चा संगीत चाहिए,जो दिल से निकला हो.और स्वर, शब्द मधुर हो .मुझे बप्पा बना के बिठा दिया और कर रहे हैं जो करना हैं .गलत हैं न !!!!!!!!!!!!!!!!!!
me : शर्मिंदा हूँ .बोलो क्या मैं कुछ कर सकती हूँ ?तुम्हे खुश करने के लिए?
बप्पा: बस एक काम करो .
me: जी बप्पा .
बप्पा: ये chat अपने ब्लॉग पर दे दो .
me: बप्पा दे दू ,पर मेरा ब्लॉग नया नया हैं ,कम ही पढ़ते हैं लोग ,और क्या होगा उससे ?
बप्पा: तुम्हारे ब्लॉग पर जो भी आते हैं ,आयेंगे प्रबुध्ध मानव ही हैं ,यह मेरा आशीर्वाद हैं ,वो पढेंगे, समझेंगे मेरी हालत और दूसरो को ऐसा करने से रोकेंगे.
me: ऐसा हैं तो मैं जरुर कर देती हूँ.पर तुम आओ pls.
बप्पा: सोचता हूँ ......चलो अभी चलता हूँ माता कबकी पुकार रही हैं.उन्होंने गरम गरम मोदक बनाये हैं .
me: वाह! चलो bye
बप्पा: ok bye bye

तो भक्तजनों यह थी गणपति बप्पा से हुई chating.उनके आदेश का मैंने पालन किया ,और आपसे विनती हैं कृपया उनकी समस्या सुलझाए ,ताकि इस बरस भी वह आए और रूठ के न जाए .

गणपति बप्पा मोरया ,आमच्या घरी लवकर या .


Blogger दिनेशराय द्विवेदी said...

अरे! हूब-हू, यही बात तो सुबह मुझे बप्पा ने कही। एक साथ कितनों के साथ चैट कर लेते हैं?

September 1, 2008 6:29 AM



3 comments:

  1. बप्पा की बात हम तक पहुंच गई .. धन्यवाद यह निजी बातचीत पढ़वाने के लिये

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  2. और यह लीजिये हमने इको फ्रेंडली गणेशजी की स्थापना कर ही दी इस बार.. यहाँ फोटो देखिये

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  3. बहुत अच्छा लिख है। इसे लोग पढ़ेंगे। आज नहीं तो कल। शानदार !

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