वो हवा के घोडे पर बैठा जीवन के असीम आकश में सरपट भाग रहा हैं, कितनी बार चाहा की उसे रोक लू ,जैसे अल्लाउद्दीन के चिराग में जिन्न बंद रहता हैं ,वैसे ही किसी चिराग में उसे भी बंद कर लू ,वो मेरी मुठ्ठी में हो , मेरे बस में । पर वो किसी के रोकने से रुका हैं ?वो तो मनमौजी हैं ,अपनी ही चाल से चलता हैं ,अपने ही रीत से दुनिया को चलाता हैं ,शायद इसलिए ही उसे समय कहा जाता हैं ,हर बार वह यु ही हाथो से फिसल कर कही दूर ,बहुत दूर भाग जाता हैं और हम कहते रह जाते हैं............ काश.............समय हमारा होता ,काश.......... हमने उसे जी लिया होता . कभी कभी तो वह इतना याद आता हैं की जीवन की छोटी बड़ी खुशिया भी उसके ही साथ कहीं खो जाती हैं। हम फ़िर कहते हैं ,काश...........
काश.........की किताबो को अलमारी में नही दिल में कहीं कैद कर लिया होता . काश...........चांदनियो का यह शुभ्र धवल प्रकाश यु ही धरती पर हर रात फैला होता , युगों तक इसी प्राकृतिक प्रकाश का स्नेहिल सानिद्य हमें मिला होता और हम कह पाते वो देखो टूटता तारा ......काश .................किताबों में रटा रटाया कोर्स पढाने के बजाय हम बच्चो को जिन्दगी का हर रंग , किसी जादू की छड़ी से नीले आसमान में छिटक कर दिखा पाते ,उनसे कह पाते ,छु लो यह रंग,जान लो इसे अपना सा, न जाने कब यह तुम्हारे जीवन को अपने रंग में रंग जाए । काश........... टूटे हुए दिल के मोती बटोर कर एक सुंदर माला बना पाते ,काश .............आज से कुछ साल पहले हम और अधिक जिम्मेदार ,समझदार इन्सान बन पाते,काश ........... किसी जादूगरनी की तरह एक जादुई लट्टू हमारे पास होता और आने वाले हर दुःख से हम पहले ही सावधान हो जाते । काश...........खुशियों का भी बरस में एक बार मेला लगता और हम जैसे घरो में पुरे साल के गेहू ,चावल भरते हैं न, उसी तरह ही घरो में साल भर की खुशिया भर पाते । काश......... की पंछी भी बोले होते ,और उनके साथ सुर मिला कर हम जीवन गीत गाते ,जब हमारे अपने जिन्दगी की वय्स्त्ताओ में जिन्दगी को ही कहीं खोते जा रहे हैं । काश....की कभी किसी को नौकरी ही नही करनी पड़ती ,हर कोई राजा होता ,कोई रानी होती ,और छोटी राजकुमारी पेडो पर लगे रूपये तोड़ कर माँ बापू को बस खिलौना लाने की जिम्मेदारी सौपती । काश.... सपने सोती हुई आँखों में रात भर यु ही मंडराते,जब सुबह हम उन्हें पुकारा करते तो बिल्कुल हमारी माँ की तरह हमारे लिए दौडे चले आते । काश ..........की इतनी बड़ी धरती पर हर इंसान को रहने के लिए एक छोटा सा कोना मिला होता ,और हम वहां अपने सपनो का आशियाँ सजाते . ..............काश ...........जिन कृष्ण - कहनैया को हम छप्पन भोग लगाते हैं,उन्ही के छोटे- छोटे कई सारे , भूख से बिलखते रूपों को हम दो समय का पुरा खाना दे पाते । काश.....हम इतना पढ़ लिख जाने के बाद,अपनी पुरी उम्र ख़त्म होने तक ही, सच्चे ह्रदय से औरो से प्रेम करना सीख जाते ,न कोई आतंक होता न कोई अत्याचार ,दुनिया को बस बच्चो सा भोला और निर्मल बना पाते. काश .......काश....काश ..........न जाने और कितने काश..हमें जिंदगी में कभी कहने ही नही पड़ते ,इन काशो के कहने से ही तो हम जिन्दगी के कितने आकश कभी आत्नीय प्रेम का ,कभी हमारे सपनो से जुडा,कभी जिन्दगी को जिन्दगी की तरह जीने का ,अपने ही हाथो से ख़त्म कर देते हैं । जब हम काश..कह कर एक लम्बी श्वास भरते हैं तो सम्भावना के द्वार बंद हो जाते हैं और सपनो ,इच्छाओं ,आशाओं का विस्तृत ,अनंत आकाश ख़त्म हो जाता हैं । और हम कहते रह जाते हैं काश...............
काश... अलादीन का चिराग हमारे हाथ लग जाता :)
ReplyDeleteक्या कहूँ...... निःशब्द हो गई.........
ReplyDeleteसालों से इन काशों में उलझी पड़ी हूँ......... पर यह अच्छा लगा कि आप साथ हैं.शायद कुछ और ह्रदय के काश मिलकर ऐसा कुछ कर जायें कि इनमे से कुछ काश कम हो जायें.........
bahut vicharniye thatya
ReplyDeleteradhika ji ,
ReplyDeleteaapne itni acchi baat kahi hai ,kaash ...icchao ka ant nahi hai...
bahut bahut badhai ..
pls read my new poems :
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
काश जिन्दगी इतनी आसान होती..
ReplyDeleteकाश वो चिराग मेरे हात आ जाता | काश मैं समय को अपनी मुट्ठी में बंद कर लेता | काश !!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है आपने....
जो गुजर गया, वो गुजर गया, जो नही हुआ, वो नही हुआ,
ReplyDeleteसंताप क्यों, अब त्रास क्या ? अब क्यों घुटन 'उस' बात का,
अब "आज" तेरे पास है, छू ले ना, सामने आकाश है,
कल क्या पता ए हो ना हो, वर्ना यहाँ बस "काश....." है.
Ranjana ji ki tarah mai bhi nishshabda hu.n...! vicharpoorna post
ReplyDeleteकाश मैं हर बीते पल को अपनी तिजोरी में कैद कर पाती । जब चाहती फिर से उन्हें जीती और फिर सबकी नजरों से चुराकर तिजोरी में ताला लगा देती।
ReplyDeletebahut achha lekh laga,sach kash aisa hota asal mein agar hame chirage jin miljaye:)
ReplyDeleteइतना ही कहता हूँ कि काश!!!!
ReplyDeleteऔर कुछ नहीं..
बहुत गज़ब लिख गईं आप!!
काश .................किताबों में रटा रटाया कोर्स पढाने के बजाय हम बच्चो को जिन्दगी का हर रंग , किसी जादू की छड़ी से नीले आसमान में छिटक कर दिखा पाते ,उनसे कह पाते ,छु लो यह रंग,जान लो इसे अपना सा, न जाने कब यह तुम्हारे जीवन को अपने रंग में रंग जाए । काश...........
ReplyDeleteकाश- काश न होता http://chaighar.blogspot.com
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने ।
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत अच्छा लिखा। बधाई!
ReplyDeleteवो कहते है ना की अच्छे संगीत की समझ वाला अच्छा लिखता भी है.ठीक कहते है.....कुछ ऐसी ही बात हमने भी लिखी थी बस अंदाज दूसरा था.......आपकी नन्ही आरोही बहुत प्यारी है ...मेरा स्नेह दीजियेगा .
ReplyDelete... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ReplyDeleteब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
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