प्रेम संसार की सबसे पवित्र भावना हैं और यह यही प्रेम जब प्रेममय,प्रेमस्वरूप ईश्वर से हो जाए तो!
उसके प्रेम- भक्ति में न जाने कितने प्रेमियों ने गीत रचे,काव्य गढे । लेकिन शब्द कम नही हुए, हर बार कुछ अधिक सुंदर शब्दों में उन्होंने प्रेम को कहा ।
मराठी में एक गीत(प्रार्थना) हैं ,जो मुझे अत्यंत प्रिय हैं ,प्रिय इसलिए क्योकि यह सिर्फ़ प्रार्थना नही हैं ,यह प्रेम का वर्णन हैं ,ईश्वर से भक्त के प्रेम का अतुलनीय वर्णन ।
नीचे गीत के बोलो के साथ उनका हिन्दी अर्थ भी दे रही हूँ ,पढिये ,सुनिए और खो जाइये परब्रह्म परमात्मा के प्रेम में ।
गगन , सदन तेजोमय
तिमिर हरुन करुणाकर
दे प्रकाश , देई अभय
अर्थ :अम्बर ,धरती तेरे ही प्रकाश से प्रकाशमय हैं । हे अंधकार हरने वाले करुणाकर प्रकाश दे और अभय दे ।
छाया तव , माया तव हेच परम पुण्यधामवार्यातुन , तार्यातुन
वाचले तुझेच नाम
जग , जीवन , जनन , मरण हे तुझेच रूप सदय
अर्थ : छाया भी तेरी हैं और यह जीवन माया भी तेरी हैं ,तू ही परम पुण्य धाम हैं ,बहती हवा में और रात्रि में आकाश को अपने शुभ्र प्रकाश से प्रकाशित करते तारो में मैंने तुम्हारा ही नाम पढ़ा हैं ,यह जग , जीवन, जनम,मरण सारे तेरे ही रूप हैं ।
वासंतिक कुसुमातुन
तूच मधुर हासतोस
मेघांच्या धारातुन
प्रेमरूप भासतोस
कधी येशील चपल चरण
वाहिले तुलाच ह्रदय
अर्थ: वसंत ऋतू में खिलने वाले सुंदर फूलों में तुम ही तो मधुर हँसते हो ,मेघो से बरसने वाली सुंदर धाराओ में हे प्रेमरूप तुम्हारा ही तो आभास होता हैं ,हे चपल चरण तुम कब आओगे ?
भवमोचन हे लोचन
तुजसाठी दोन दिवे
कंठातिल स्वर मंजुल
भाव मधुर गीत नवे
सकल शरण मनमोहन
सृजन तूच ,तूच विलय
अर्थ :हे भवसागर से तारने वाले भवमोचन ये आँखे तुम्हारे लिए ही समर्पित दो दिये हैं ,मेरे कंठ से निकलते स्वर व सुंदर भावो से परिपूर्ण गीत भी तुम्हारे लिए ही हैं ,हे मनमोहन मैं तुम्हे पूर्ण रूप से समर्पित हूँ । तुम्ही सृजन हो तुम्ही विलय हो .
आपने अर्थ तो जान लिया अब सुनिए वसंत बापट जी का लिखा हुआ ,पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर जी ने स्वरबद्ध किया ,लता मंगेशकर जी द्वारा गाया हुआ ,मराठी उम्बरठा फिल्म का राग तिलक कामोद पर आधारित यह सुंदर गीत ।
bhav poorna prarthana
ReplyDeleteअर्थ बताकर अच्छा किया ...
ReplyDeleteWaah !!!!!! Man mugdh aur vibhor ho gaya !!
ReplyDeleteBahut bahut abhar aapka.
प्यार पर जितना लिखो, उतना ही कम है।
ReplyDeleteढाई आखर में, बड़ा दम और खम है।।
प्यार पर जितना लिखो, उतना ही कम है।
ReplyDeleteढाई आखर में, बड़ा दम और खम है।।
pahli baar aayaa aapke blog par sach kahu bahut achcha laga,
ReplyDeletejabh bhi koi rachna marm ko chhuti hui nikalti he to bhaavvihil ho jaanaa svabhavik hota he, khastor par prem ki baat ho aour vo bhi ishvar se to is rachna sagar me dubki lagate rahne ka man karta rahta he..
sadhuvaad aapko.