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Tuesday, July 6, 2010

वो ........

                      वो ........जो पूरी पागल हैं ,जो बहुत प्यारी हैं ,
                      वो.......... जो मुझे हँसाती हैं,जो मुझे रुलाती हैं .
                      जाने क्या कह जाती  हैं जाने क्या क्या सुनाती हैं ,



 माँ माँ करते,माँ माँ कहते दिन दिन भर सताती हैं .
पर रात की चांदनी जैसे जीवन में उजियारा लाती हैं 
बहती नदी सी कल कल, छल छल दिल को छल सी जाती हैं , मटक मटक कुछ फैलती आँखे ,आँखों में बस जाती हैं

. .
            सुनहली किरणों जैसी जुल्फे यहाँ वहाँ लहराती हैं ,
               आते जाते हर राही का  मन मतवाला बनाती हैं,





कभी रूठती गाल फुलाती मुझे इतना सुहाती हैं ,
सारी दुनिया उस पर वारू क्यों इतना वह भाती हैं ?







बिखेरती  जीवन में वह मेरे सुंदर स्वर्णिम हज़ार  रंग, 
उसके होने से लागे हर रंग इन्द्रधनुषी संग .




 लगता हैं कभी- कभी जैसे सासों संग मेरी वह आती जाती ,
हर धडकन  को ताल बना कर वह नाचती वह बलखाती .
हथेली पर लिए जान मेरी इधर भागती उधर दौड़ती .
गुस्सा कैसे करू मैं ?वह कहती माँ तू बहुत अच्छी हैं लगती .

         
  






मैं यहाँ दिखती हूँ सबको ,पर आत्मा मेरी उसमे अब रहती .

 कोई  जान न पाता फिर भी कैसे बेटी माँ को जीवन देती .

10 comments:

  1. बेटी को माँ जीवन देती है और बेटी माँ को बार-बार जीवन देती है.
    बहुत सुन्दर रचना
    बहुत सुन्दर चित्र
    सब कुछ बहुत सुन्दर

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  2. बिटिया को ढेर सारा फ्यार ।

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  3. SO CUTE......WHEN SHE GROWN UP....SHOW THIS....

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  4. डा० राधिका जी ,

    आपके ब्लोग्स पर पहली बार आना हुआ....और यह रास्ता आपने ही दिखाया...सच है बेटियों में माँ का मन बसता है..बहुत प्यारे चित्र और उस पर लिखे मोती माणिक से आपके शब्द....बहुत अच्छे लगे...

    मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया

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  5. प्यारी पोस्ट !

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  6. आपके दोनों ब्लाग वीणापाणी और वीणा संगीत को समर्पित हैं... संगीत के इस लगाव को नमन, जो आपकी हसीं में भी अनायास छलकता हुआ सा है।

    यह विधान भी आपके अंतर्मन को प्रक्षेपित करता है
    नाद षडज
    ऋषभ रंग
    गांधार गान
    मंत्र मध्यम
    पुष्प पंचम
    धुन धैवत
    निषाद निनाद

    प्यारी बच्ची पर कविता बहुत प्यारी है
    .. वैसे मां की हर रचना प्यारी होती है..

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  7. बेटी तुलसी दूब है बेटी पूजा फूल।
    बेटी घर की रोशनी सब खुशियों का मूल॥

    बेटी का संसार में सबसे सुंदर रूप।
    जैसे आंचल से छनी ठंडी मीठी धूप॥

    बेटी की तो कोई पमा नहीं होती, जितना कहा जाय,कम है।

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  8. राधिका जी,
    नमस्ते!
    कोई भी शब्द कम होंगे इन छायाचित्रों की तारीफ करने के लिए......
    यूँ समझ लीजिये, मालकौंस और देस का समावेश!
    आशीष का आशीष आपकी बेटी को!

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  9. आपकी आरोही बहुत प्यारी है । आपकी कविता भी । उसे मेरा बहुत प्यार ।

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