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Wednesday, November 26, 2008

तुम कहाँ हो?

वो सुबह शाम तुम्हारा नाम लेती हैं ,तुम्हे पुकारती हैं ,तुम्हारी एक आहट के लिए घंटो आँखे लगाये बैठती हैं, कभी अपनों पर नही रखा शायद..............इतना विश्वास तुम पर करती हैं , रोज़ नए नए शब्द ,छंद लाकर न जाने कितनी कविताये तुम्हारे लिए लिखती हैं ,रोज़ न जाने कितने रागों में स्वरों और शब्दों को मोती की तरह पिरो कर प्रेम भरी संगीतमय पुष्पमालाये तुम्हे अर्पण करती हैं । वह कभी मन्दिर जाती हैं ,कभी मस्जिद जाती हैं,कभी चर्च जाकर प्रार्थना गाती हैं ,कभी वाहेगुरु को शीश नवाती हैं ,वह व्रत करती हैं ,कभी करती हैं पूजन ,कभी रोजे रखती हैं ,कभी करती हैं हवन । वह जो तुम्हारी हैं ,सदियों से ,इस सृष्टि के आदि से अंत तक ,सिर्फ़ तुम्हारी, उसका कौन हैं तुम्हारे सिवा बोलो ?फ़िर भी तुम नही आते ?कहीं नही दीखते ,हर बार वह ख़ुद को भरोसा दिलाती हैं की तुम आओगे इस बार नही अगली बार कभी तो कहीं तो .................................

हे ईश्वर................ विश्व की ७०% जनता रोज़ तुम्हे पुकारती हैं ,पुजती हैं ,प्रार्थना करती हैं ....और हर बार हर दुःख के बाद स्वयं को संभालती हैं और कहती हैं की तुम आओगे । माना की तुम ईश्वर हो ,यह कलयुग हैं सारा दर्शन माना, जाना । पर कल जैसी अँधेरी काली रात जब भारत जैसे देश पर बिजली की तरह टूटती हैं तो एक ही प्रश्न ह्रदय में बार बार उठता हैं की हे ईश्वर तुम कहाँ हो?.........

तुम अवतार नही ले सकते तो कम से कम इन अँधेरी राहों में जहाँ मनुष्यता कहीं खो गई हैं ,उजास तो भरो ,जो इनसे जूझना चाहते हैं उनका मार्गदर्शन तो करो ..........

इस साल जितने विस्फोटहुए हैं,क्या ये कलयुग की अति नही हैं ,तुम अति होने के बाद ही अवतार लेते हो ?ऐसा सब कहते हैं ..कम से कम किसी भारतीय नागरिक के मन में अवतरित होकर हमारा मार्गदर्शन करो,हम सब तुम्हारी संतान हैं करुणाकर ,अब तो पथप्रदर्षित करो ।

मेरा और न जाने कितने भारतीयों का मन बार बार तुमसे पूछ रहा हैं ..तुम कहाँ हो ?

9 comments:

  1. prashna aur prarthana dono safal ho.

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  2. काश वो पिछले हादसों में मरे लोगों के परिजनों की चीख पुकार सुन सका होता, तो कल की रात शायद ही आती। बढ़ते जा रहे हैं आतंक के हौंसले और हमें कुछ ना कर पाने की मजबूरी सताए जाती है। कुछ विस्फोट में मर जाते हैं और हम हर दिन इस दहशत में मरते हैं कि जाने कब हमारा या हमारे परिवार के किसी सदस्य का नाम उस सूची में शामिल हो जाए। कब तक बनती रहेंगी ये सूचियां....बस, अब और नहीं।

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  3. मैं बस स्तभ हूँ और कुछ भी कहने के लायक नही हूँ,वीरों को जो शहीद हो गए मेरा ढेरो नमन, और उन सभी परिवारों का जिनका कोई ना कोई खोया है कल ,उनके लिए धैर्य और हिम्मत की बात करता हूँ ..

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  4. अरे वो तो यही है हम ही इंसान से हेवान बन गये है,आज इस से ज्यादा कहने की हिम्मत नही.

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  5. राधिका जी!
    घबराइये नहीं, इश्वर आपके साथ, आपके पास ही हैं...
    वो जो कर रहे हैं, या जो हो रहा है, वो सब पहले ही लिखा जा चुका है...
    बस इश्वर को महसूस कीजिये, उन पर भरोसा कीजिये...
    वो सब ठीक कर देंगे
    --मीत

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  6. उन्हें ख़ुद पता नहीं है वे कहाँ है शायद वे अपने लिए ( उनको ख़ुद के लिए ) मार्गदर्शक खोज रहे होंगे / आसमा पे है खुदा और जमी पे हम -आज कल वो इस तरफ़ देखता है कम

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  7. उन्हें ख़ुद पता नहीं है वे कहाँ है शायद वे अपने लिए ( उनको ख़ुद के लिए ) मार्गदर्शक खोज रहे होंगे / आसमा पे है खुदा और जमी पे हम -आज कल वो इस तरफ़ देखता है कम

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  8. jo bache huye hen
    ab tak
    aatank ki goli se,
    eshwar ki kripa se hi bache huyen hain...
    regards

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  9. अच्छा िलखा है आपने । शब्दों में यथाथॆ की अिभव्यिक्त है । साथ ही कई प्रश्न उठाकर आपने सामाियक संदभोॆं से मन को झकझोर िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है । समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें -
    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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