बेटी की शादी २८ की उम्र में भी नही करवाओगे ?लोग क्या कहेंगे ?
इस बार भी स्कूल में छठा स्थान चीनू!इस बार भी फर्स्ट नही !दिनु की मामी ,टीनू के पापा ,मीनू की मम्मी क्या कहेंगी ?लोग क्या कहेंगे?
अच्छा खासा इंजीनियरिंग छोड़कर खेतो ,फुल पौधों का काम करोगे (एग्रीक्लचर )?लोग क्या कहेंगे ?
एकलौते बेटे की शादी और जरा भी तामझाम नही,नही चाट का स्टाल ,न डीजे का धमाल,न रोशनियों की चमक,न सगे संबंधियों को उपहार ,लोग क्या कहेंगे ?
अच्छा खासी नौकरी करते हो ,काफी पैसा हैं तुम्हारे पास ,फ़िर उसी पुराने घर में उसी टूटे फूटे फर्नीचर के साथ रहोगे?लोग क्या कहेंगे ?
बड़ी बहु होकर भी रिश्तेदारों के यहाँ नही गई ?समाज वाले क्या कहेंगे ?लोग क्या कहेंगे ?
कैसे पति हो ,शादी १० वि वर्षगाठ पर भी मुझे महंगा तोहफा नही दिलवा सकते मेरी सहेलिया क्या कहेंगी ?
चाहे कितना कष्ट हो ससुराल में यु घर परिवार और पति को छोड़कर अकेली रहोगी?लोग क्या कहेंगे ?
त्यौहार दिन भी वही पुरानी साडी ?आसपास की औरते क्या कहेंगी?
बुढापा आ गया हैं अब इस उम्र में मेकडांल्ड्स में बैठ कर बर्गर खाउन्गी। तो लोग क्या कहेंगे ?
अरे इस छोटी सी शादी करने के उम्र में ,सजने सवारने की उम्र में यहाँ पार्वती माता की पूजा करती रहेगी , तेरी सहेलिया क्या कहेंगी?लोग क्या कहेंगे?
बड़ी सी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ एक छोटा सा रेस्तौरेंत खोल लिया । लोग क्या कहेंगे ?
लोग क्या कहेंगे ??भारतीय समाज में ,भारतीय परिवारों में रोज़ रोज़ उठने वाला एक अत्यन्त ,गंभीर ,ज्वलंत प्रश्न । इस प्रश्न के सामने तृतीय विश्व युद्ध का प्रश्न ?आर्थिक मंदी का प्रश्न?भ्रष्ट राजनीती का प्रश्न?आतंकवाद का प्रश्न ?शिक्ष्ण के उच्च स्तर का प्रश्न?कलाओ की विरासत को सँभालने सहेजने के प्रश्न ?बिघडते पर्यावरण का प्रश्न ?सब के सब प्रश्न छोटे नज़र आते हैं । कयोकी हममें से आधिकतर लोग घर में बैठ कर५ बाहर के लोग क्या कहेंगे ?इस प्रश्न पर ही अपनी आधी से अधिक उम्र तक विचार करते रहते हैं ?शुक्र हैं हम यह नही कहते...फला आतंकवादी मारा गया अब आतंकवाद बिरादरी के लोग क्या कहेंगे?
मैं नही कहती की समाज में रह कर हमें समाज के निति नियमो को नही मानना चाहिए या समाज का थोड़ा बहुत विचार नही करना चाहिए । लेकिन यह सब एक सीमा से अधिक नही होना चाहिए,ईश्वर ने मनुष्य को विवेक दिया हैं , जिसका इस्तमाल कर वो सही ग़लत,अच्छे बुरे की समझ रखता हैं ,हर व्यक्ति की सोच, परिस्तिथिया, अलग होती हैं ,जीवन को देखने का ,उसे जीने का ,लक्ष्य निर्धारित करने का तरीका अलग होता हैं ,इसलिए सिर्फ़ लोग क्या कहेंगे इसके आधार पर किसी के जीवन की दिशा निर्धारित करना कहाँ तक सही हैं ?
भारत एक विकासशील देश हैं और देश के विकास के लिए यह आवश्यक हैं की लोग क्या कहेंगे इस प्रश्न से उपर उठ कर ,हमारे लिए ,हमारे अपनों के लिए,हमारे देश के लिए क्या सही हैं इसका विचार किया जाए ,वरना इस प्रश्न में उलझ कर हम कभी तरक्की नही कर सकते । अगर उन्नति करना हैं तो छोटी छोटी बातो से लड़ना और आगे बढ़ना भी सीखना ही होगा .
इति
वीणा साधिका
राधिका
सही कहा आपने..
ReplyDeleteहमारी दिशा ये सोच कर ही तय होती है "लोग क्या कहेंगें?"..
aapne bahut hi sateek likha hai aur ye vakai me satya hai kee `log kya kahenge`` me hum apne jeevan ko chalate hai. vastava me pakhand hai aisa jeevan.
ReplyDeleteलोग क्या कहेंगे ..इस तरह का एक लेख मैंने भी लिखा था .आपने बहुत अच्छे ढंग से हर बात को लिखा है ..
ReplyDeleteलोग क्या कहेंगे.....इस लेख में आपने बहुत अच्छी तरह समझाया है।
ReplyDeleteबिलकुल सही। इसी शीर्षक से अरसा पहले मेरा एक व्यंग्य पंजाब केसरी में छपा था। जल्दी ही उसे अपने ब्लाॅग पर पोस्ट करुंगा।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने .पूर्ण सहमत हूँ........
ReplyDeleteलोग क्या कहेंगे,इसकी परवाह यदि पाप कर्म करने तक सीमित रखा जे तो बेहतर है,नही तो ग़लत से समझौता और कमजोरियों के नीचे अपने को दबा देना,यह कायरता है,सामाजिकता नही.
Radhika ji,
ReplyDeletePlease change the color settings for comments the white is difficult to Read
&
I liked your post -
also your Signature :)
इति
वीणा साधिका
राधिका
हमारे मोहल्ले में तो लोग अब भी यही कहते हैं कि बेटा गलत संगत में पड गया था तो उसे शहर से दूर भेज दिया । अब विदेश में झाडू लगाता है और बर्गर पलटता है ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteबिलकुल सही
ReplyDeleteअजी मै तो कहता हुं..........................भाड मै जाये लोग, जो मेरे मन मै होगा करुगां ओर करता भी हूं, लेकिन आशीलता ओर असभ्यता को छोड कर, यह वो लोग है जब मेरे पास खाने को नही होगा तो क्या मुझे देगे खाने को?????
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