कहते हैं बेटी माँ की परछाई होती हैं ,वो मेरी परछाई नही ,एक दैवीय ज्योति हैं,जो जीवन को प्रकाशित करती हैं मेरा ही चेहरा,मेरी शक्ति,शांति,संगती ,गीति,आरोही ....
Wednesday, September 3, 2008
क्या आप सुंदर बनना चाहेंगे ?
क्या आप अपनी फेयर नेस एक्सपर्ट बनना चाहेंगी?
7 दिन में लौटाऐ चेहरे का खोया आकर्षण । बनाये आपको ज्यादा गोरा। मेरी त्वचा से मेरी उम्र का पता ही नही चलता । असली नीम का साबुन। मेरी सुन्दरता का राज़ ............और क्या ?असली आयुर्वेदिक क्रीम आपको बनाये 7 दिनों में गोरा ।आपके रंग में 14 दिनों में फर्क नज़र आए । अब लगाए लिपकलर ,यानि ग्लोस ,लिप बाम ,लिपिस्टिक का झंझट ही नही । कितना सुंदर रंग,और कितने मुलायम बाल ,माँ, मैं अपने हेयरकलर की बात कर रही हूँ ।
आप सभी ने ये विज्ञापन तो सुने ही होंगे ,रोज़ टीवी पर आते हैं,हर चेनल पर आते हैं ,दिन में हज़ार बार आते हैं . आते हैं और सब नारियो के मन को लुभा जाते हैं ,साथ ही तय कर जाते हैं आपकी एक न एक बार इन सबकी खरीददारी,और दुकानदार और निर्माता के लिए ढेर सारा पैसा ।
यह तो छोडिये अब पुरषों के भी सौन्दर्य प्रसाधन आने लगे हैं,उनकी भी फेयर नेस क्रीम आ चुकी हैं । तरह तरह के प्रोडक्टस से बाज़ार भरा पड़ा हैं .
न जाने कितने ही तरह की क्रीम ,साबुन ,पावडर,परफ्यूम महंगे महंगे दामो में बिक रही हैं.हर गली में ब्यूटी पार्लर खुल गए हैं ,कपड़ो का बाज़ार तो अद्भुत रूप से दिनों दिन बढ़ता जा रहा हैं .कभी बच्चो के लिए माँ कपड़े सिला करती थी ,दर्जी हुआ करते थे .आज तो बुटिक हैं बडे -बडे मॉल हैं,शोरूम हैं.ब्रांडेड कपड़े हैं ,फैशन इंडस्ट्री अमृतपात्र की तरह धन उगल रही हैं ।
इस अर्थ बाज़ार और कंपनियों की मारामार के भीषण चक्र्व्ह्यु में फंस रहे हैं ,हम और आप ।
मनुष्य ह्रदय को सदा ही सुन्दरता से प्रेम रहा हैं ,सुन्दरता के इसी प्रेम के चलते उसने कलाओ से भी प्रेम किया हैं,क्योकि कला सुन्दरता का दूसरा नाम हैं ,भोजन,पठन, लेखन,और सज्जा हर चीज़ में एक कला हैं ,और कलाकारी से अगर आप पत्थर पर हथौडा भी मारे तो वह सुंदर मूर्ति का रूप ले लेता हैं . कुछ इसी तर्ज पर इन देशी विदेशी सौन्दर्य प्रसाधनों के बाज़ार ने सबके दिलो में जगह बनाई। ईश्वर ने सभी को सुंदर बनाया हैं,यह देह भी ईश्वर ने ही दी हैं ,इसलिए सजना-सवारना कोई गुनाह नही,बल्कि पुण्य हैं ,मैं भी इस बात को मानती हूँ । लेकिन जिन कंपनियों के भुलावो में, वादों में हम सब बहे जा रहे हैं ,वह यह सब नही मानती ,वह मानती हैं तो सिर्फ़ पैसा और जानती हैं तो सिर्फ़ पैसा कमाना। आपको झूठे रंग बिरंगे सुंदर सपने दिखा-दिखा कर यह सिर्फ़ आपसे पैसा ही नही उगल रही ,बल्कि सुन्दरता के पैमाने भी बदल रही हैं ।
भारत एक संस्कारशील देश हैं ,यहाँ सदा सुन्दरता को सन्मान दिया गया हैं ,पूजा गया हैं ,पर वह सुन्दरता याने आत्मिक सुन्दरता।
सुंदर व्यक्ति का अर्थ हैं,वह इन्सान जिसका मन सुंदर हो,जिसकी आत्मा पवित्र हो।
सुंदर वह इन्सान होता हैं जिसका चरित्र सुंदर हो.जिसमे अनेको गुण हो, सुन्दरता शब्द बौध्दिक ,नैतिक सुन्दरता का भी परिचायक हैं,एक व्यक्ति तभी सुंदर कहला सकता हैं जब वह अपने मृदु व्ह्यवार ,प्रेम, गुण, ज्ञान से सबका ह्रदय जीत ले,सच्चा सुंदर वह हैं जो अपनों से परायों से हर मानव से प्रेम करे ।
ईश्वर ने किसी को गोरा बनाया हैं ,किसी को साँवला ,किसी की आँखे बड़ी हैं ,किसी की छोटी ,
कोई लंबा हैं ,कोई नाटा ,कोई भूरे बालो वाला हैं कोई काले बालो वाला,किसी की आंखे नीली हैं किसी की काली,।
जरा कल्पना कीजिये उस दुनिया की जहाँ हर कोई गोरा हैं,हर किसिकी आँखे नीली हैं ,हर कोई उतना ही लम्बा हैं , हर कोई एक ही जैसा दीखता हैं ,कितनी अजीब कल्पना हैं न!
ईश्वर ने हम सबको एक दुसरे से अलग बनाया हैं तो कुछ सोचकर ही न । ये कंपनिया एक तरह से रंगभेद को बढ़ावा दे रही हैं। अगर गोरा व्यक्ति कुछ मायनो में सुंदर हैं तो साँवला व्यक्ति भी हो सकता हैं । अगर काले बालो वाला सुंदर हैं तो भूरे बालो वाला भी सुंदर हो सकता हैं । सुन्दरता देखने वालो की आँखों में होती हैं ,सुन्दरता आत्मविश्वास में होती हैं ,सुन्दरता मुस्कराहट में होती हैं , न की इन प्रसाधनों में और ब्रांडेड कपड़ो में।
हाँ अगर आपकी जेब में भरपूर पैसा हैं और आप खर्च करने की इच्छा रखते हैं ,तो इन पर खर्च कीजिये,पर उस समय यह न भूलिए की यह खर्च आपको मुश्किल में भी डाल सकता हैं .इन प्रसाधनों का आप के सौन्दर्य पर नकारात्मक असर भी हो सकता हैं । जो भी कीजिये सोच समझकर और एक बात दिल में अच्छी तरह बिठाकर की सभी सुंदर हैं ,अपनी सुन्दरता के लिए आप इन कपड़ो और सौन्दय प्रसाधनों पर निर्भर नही हैं ,जो भी जैसे भी दीखते हैं ,आपको ईश्वर ने बनाया हैं ,इसलिए आप अतुलनीय सुंदर हैं और अपने नैतिक और आत्मिक गुणों के कारण सदा सुंदर ही नज़र आयेंगे ।
इति ।
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बहुत अच्छा लिखा है....जानकारी भी है .....क्रम जारी रखें
ReplyDeleteआप बहुत सही कह रही हैं। एक प्रेरणा से भरे लेख के लिए आभार।
ReplyDeleteसहमत आपकी लिखी हर बात से ..बाजार ने अपना काम करना है और लोगों ने उसी तरह से चलना है :)
ReplyDeleteरधिका जी, आप ने सही लिखा हे की आदमी ( यानि इन्सान) मन से, आत्मा से, दिल से, ओर कर्मो से सुन्दर दिखना चाहिये, असली सुन्दरता तो यही हे,बस इस से ज्यादा नही बोलु गा
ReplyDeleteधन्यवाद एक सुन्दर विचार के लिये
आखिरी के ६ पैरा ही हमारे काम के हैं. :)
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