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Wednesday, October 1, 2008

न्यूज़ चेनल्स :ठगी का नया अंदाज़

कहानी सुनी थी ,एक ठग था ,भोले लोगो को बड़ी बड़ी बातें बनाकर ठगता था । हर बार लोग उससे दूर रहने की, खबरदार रहने की ठानते और हर बार उसके झांसे में फँसकर ठगे जाते । जब नगर के कुछ प्रबुद्ध जनों ने मामले की गंभीरता को समझा तो राजा के पास गए ,राजा ने उस ठग को अपने राज्य से बहार निकल दिया ।
राज गए,राजा गये पर ठग रह गए ,वक्त के साथ साथ इन ठगों ने ठगी की नई नई विधियां भी ईजाद करली,आज के युग की सर्वोत्तम ठग विधि साबित हुई न्यूज़ चेनल्स की स्थापना । भारत में दूरदर्शन की स्थापना के बाद कई देशी विदेशी चेनल्स ने भारत भूमि में अपने पैर जमाये ,CNN,CNBC,BBC आदि चेनल्स ने अपने प्रसारण से लोगो को चमत्कृत कर दिया । कुछ वर्ष आगे बढे ,न्यूज़ चेनल्स की बाढ़ आ गई। आज टी.वी ऑन करते ही रोज के नए नए न्यूज़ चेनल्स के दिव्य दर्शन हमें हो जाया करते हैं । वैसे तो मॉस मीडिया का ऐसा युग आया हैं की न्यूज़ चेनल्स हो या मनोरंजन चेनल्स गाजर घास की तरह बढ़ते ही जा रहे हैं । इन सभी के बीच एक प्रतिस्पधा हैं स्वयं को मीडिया के इस मार्केट में बनाये रखने की ,अपनी टी .आर .पी बढ़ाने की ,दुसरे न्यूज़ चेनल्स से स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने की और इसलिए अब चटपटे कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं । कुछ चेनल्स तो भुत भभूत ,अघोरी बाबाओं का जमघट लगते हैं । इनके पास दादी माँ के पिटारे से निकली न जाने कितनी अजीबो गरीब कहानियाँ दर्शको को दिखाने के लिए हैं ।
कोई भी हिन्दी न्यूज़ चेनल हो,कार्यक्रम प्रस्तुतिकरण में कार्यक्रम संचालक की आवाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं यह जानकर आजकल हर न्यूज़ चेनल के हर संवाददाता की आवाज लगभग स्टार न्यूज़ के सनसनी कार्यक्रम के संचालक श्री शाजी ज़मान जैसी हो गई लगती हैं
कोई भी न्यूज़ हो उदाहरणार्थ किसी युवती ने खुदखुशी की इस न्यूज़ की प्रस्तुति का तरीका कुछ इस तरह होता हैं ...एक फांसी लगाई लड़की का फोटो ,घबराहट पैदा करने वाला बेसुरा म्यूजिक,संवादाता की रहस्मय आवाज़... वो जीना नही चाहती थी ....साथ में बड़े बड़े लाल अक्षरों में लिखा हुआ .....वो जीना नही चाहती थी.म्यूजिक में बदलाव ...फ़िर स्क्रीन पर दूसरा वाक्य वो मरना चाहती थी .संवाददाता की आवाज़ ... वो मरना चाहती थी ...स्क्रीन पर तीसरा वाक्य वो जीने से उब चुकी थी...संवाददाता की आवाज़ .....यही क्रम लगभग ३ मिनटों तक जारी ,फ़िर स्क्रीन पर संवाददाता का नज़र आना और कहना " बिहार में एक महिला ने आज तड़के खुदखुशी कर ली हम बताएँगे क्यों ,कब ?कैसे ? पर पहले लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक...(वाकई में ५-८ मिनिट का ब्रेक )ब्रेक के बाद हम फ़िर हाज़िर हैं अपनी विशेष पेशकश " "वह मरी " लेकर आइये देखे वह कैसे मरीफ़िर एक लाश ,फ़िर उस लड़की के घर वालो के आसूंसे भीगे चेहरे ,और फ़िर वही सवाल -आपकी बेटी ने आज ही फांसी लगाकर आत्महत्या की हैं ,आपको क्या लगता हैं ऐसा उसने क्यो किया होगा ?लोग कहते हैं वह किसी दूसरी जाती के लड़के से प्रेम करती थी ,क्या ये सही हैं ?उत्तरदाता...निरुत्तर ,अच्छा बताये इस समय आप क्या महसूस कर रहे हैं ??.........................प्रश्न -उत्तर, बिना कारण की सनसनी ,अफवाहों,सवाल ,जवाब,अनुमानों ,कुछ सच्चे कुछ झूठे प्रमाणों का क्रम जारी

देश में जाने कितने गंभीर मुद्दे चल रहे हैं लेकिन इन न्यूज़ चेनल्स वालो के पास इनके लिए उतना समय ही नही हैं ,अगर कोई गंभीर मुद्दा उठाया भी गया तो उसकी प्रस्तुति भी इस तरह होती हैं की वह गंभीर कम हास्यास्पद अधिक लगता हैंजनता को घंटे टी वि के सामने बैठने पर भी कुछ सारगर्भित जानकारी हासिल नही होती

एक चेनल बताता हैं मरने वालो की संख्या १५ दूसरा तीसरा १० चौथा २१ . किसे सच मने?

रियलिटी शो का प्रसारण संबंधित चेनल्स पर हर दिन होता हैं पर हमारे ये न्यूज़ चेनल वाले सस्ती टी .आर .पी के चक्कर में लगभग पुरा पुरा कार्यक्रम अपने न्यूज़ चेनल पर दिखाते हैं । (भारतीय शास्त्रीय संगीत ,कला आदि से संबंधित समाचार भी दिखाने के लिए इनके लिए ज्यादा समय नही होता )
ऐसे भी संवाददाता हैं जिन्हें ठीक से पढ़ना भी नही आता ,वे शब्दों का गलत उच्चारण करते हैं

पत्रकारिता एक बहुत जिम्मेदारी का काम हैं .किसी भी न्यूज़ को चलाना ,उसमे न्यूज़ प्रस्तुत करना अत्यन्त गम्भीर,दायित्व पूर्ण कार्य हैं ,इन समाचारों से लोगो की जिंदगिया जुड़ी होती ,उनका आज और कल जुड़ा होता हैं। ऐसे में सस्ते कार्यकम ,समाचार दिखाकर ये लोग अपना पेट तो भर लेते हैं ,पर समाज की भावनाओ को छल कर ,अपनी तिजोरी भरकर ये बहुत बड़ी ठगी करते हैं
जो भी भाई , बहन इन न्यूज़ चेनल्स के लिए काम करते हैं ,या जिनके ये न्यूज़ चेनल्स हैं उनसे मेरा अनुरोध हैं की आप सभी पर बहुत जिम्मेदारी हैं ,न्यूज़ देना ,उसका प्रसारण करना ,उसे पढ़ना कोई आसन काम नही हैंबहुत ही लगन से किया जाने वाला काम हैंआपका दायित्व हैं सच और झूठ का सही सही पता लगना,जनता को सही सही जानकारी देनासमाचारों की कोई कमी नही ,पर समाचार किसे बनाया जाना चाहिए इसका खरा निर्णय आप पर हैंआप जो भी अपने चेनल पर दिखा रहे हैं उसके संबंध में आपने कितना जाना हैं, रिसर्च किया हैं ,यह बहुत महत्वपूर्ण हैं ,इसलिए कृपया अपने उत्तरदायित्व को समझे और इन न्यूज़ चेनल्स के साथ -साथ देश और जनता का भी भला होने दे
इति


पिछली कुछ प्रविष्टियों पर श्री अनूप शुक्ल जी ,सुश्री संगीता पुरी जी, श्री समीर लाल जी ,श्री संजय जी ,श्री शिव कुमार मिश्रा जी,श्री कुश जी ,सुश्री रंजना भाटिया जी ,श्री मोहन वशिष्ठ जी,,श्री रंजन जी ,श्री अनुनाद जी,सुश्री लावण्या जी ,श्री रोहित जी,श्री दीपक जी ,श्री दिनेश राय द्विवेदी जी ,श्री मार्कंड जी ,श्री अभिषेक ओझा जी , श्री सागर नाहर जी और अन्य कई पाठको की टिप्पणियाँ मिलीआप सभी को धन्यवादआपकी टिप्पणियों से मुझे लिखने की प्रेरणा मिलती हैं

8 comments:

  1. हालत बड़ी ख़राब है. ये न्यूज़ चैनल्स रोज पिछले दिन से थोड़ा और गिर जाते हैं. न्यूज़ एंकर ऐसी-ऐसी बातें करते हैं कि क्या कहें. देश में मॉस को बेवकूफ बनाना शायद सबसे सरल काम हो गया है.

    इन्हें ख़ुद एक आचारसंहिता बनानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार इनके ऊपर अंकुश लगाने का रास्ता ढूढना शुरू कर देगी. और वो लोकतांत्रिक नहीं माना जायेगा.

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  2. बहुत बढ़िया विश्लेषण, लेकिन आप सुधरने की अपील किससे कर रही हैं? उन चैनल वालों से जिनके लिये TRP ही सब कुछ है, जो एक बच्ची आरुषि की हत्या को भुनाकर शैम्पेन की पार्टी उड़ाते हैं, नहीं मैडम ये ऐसे नहीं सुधरने वाले… और इनकी इन्हीं हरकतों के कारण जब कोई सलमान किसी पत्रकार को तमाचा जड़ देता है तो किसी की भी सहानुभूति पत्रकार के साथ नहीं होती, या कोई राजनैतिक दल अथवा पुलिस इनके कार्यालय में घुसकर इन्हें पीटती है तो कतई दुःख नहीं होता… आज की तारीख में 95% पत्रकार सिर्फ़ और सिर्फ़ ब्लैकमेलर या बिचौलिये हैं…

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  3. पत्रकार अब दलाल की भूमिका में आ गए है और चैनल मालिक उन्हें दलाली के लिए प्रेरित करते है। यहीं सच्चाई है आज की।

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  4. स्यापा भी बड़े कायदे से होता है।

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  5. न्यूज चैनल्स की हालत बड़ी ही हास्यास्पद दयनीय है. मात्र टी आर पी के लिए सारी नैतिकता ताक पर रख दी है. सही मुद्दा लिया है आपने.

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  6. न्यूज चेनल्स में न्यूज कम सनसनी ज्यादा है ।
    एक चैनल जो दिखाता है बाकी के भी उसी पर कूद पडते हैं हमें तो यहाँ दूर दर्शन की कमी खलती है ।

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  7. न्यूज चेनल्स में न्यूज कम सनसनी ज्यादा है ।
    एक चैनल जो दिखाता है बाकी के भी उसी पर कूद पडते हैं हमें तो यहाँ दूर दर्शन की कमी खलती है ।

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  8. सही कहना है आपका ....कभी कभी तो ऐसा लगता है कि क्या इसी के लिए इतना बड़ा रिसर्च..... यानि घरघर इतने सारे चैनल पहुंचा पाने की खोज की गयी थी।

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