तक़रीबन १२ बजे का समय ,हम कोल्हापुर महालक्ष्मी देवस्थान से बाहर निकले ,वह तेजी से दौड़ता हुआ मेरे पतिदेव के पास आया और बोला "साहेब गाड़ी तैयार आहे" ,(गाड़ी तैयार हैं ) वो............ सफ़ेद कुर्ता पायजामा पहने,शुद्ध मराठी बोलता हुआ ,मराठी माणुस सा ।
आज सुबह ही हम कोल्हापुर पहुंचे थे ,मैं ,सासु माँ ,ससुर जी ,पतिदेव और बेटी हम सब गाड़ी में बैठ गए ,सब चुप थे ,पर वह बोलता जा रहा था ,"बघा साहेब इथे जवळस देवीच देवुळ आहे ...नंतर आपण ज्योतिबा मन्दिर चे दर्शन करू ,औदुम्बरच्या वाडीत चलू ..................................(यहाँ पास ही देवी का मन्दिर हैं ,बाद में हम ज्योतिबा मन्दिर के दर्शन को जायेंगे ,औदुम्बर के मन्दिर भी जायेंगे )आदि आदि आदि । मैं सोच रही थी ,यह बोलते बोलते थका नही क्या ?उस दिन वह हमें कम से कम चार तीर्थ स्थलों पर ले गया । दुसरे दिन फ़िर सुबह ७ से हम देव दर्शन के लिए निकल पड़े ,आज भी कल की तरह ही उसकी बातें- बातें । "बघा वहिनी हे आमच्या कोल्हापुरातले महान व्यक्तिंच घर । तुम्हाला सांगलीच्या गणपतीची गोष्ट सांगतो ....."(देखिये भाभी ये हमारे कोल्हापुर के महान व्यक्ति का घर,आपको सांगली के गणपति की कहानी सुनाता हूँ । )
एक जगह हम कुछ देर रुके उसके पास एक फोन आया ..........."हाँ बोल..काय?अस !!!!!!!जा ,बघू ...और उसने गुस्से से फ़ोन पटका धम्मम !!!!!!!!!!!!!!
फ़िर मेरी सासु माँ से कहने लगा ,बघा आई मैं सुबह से नमाज़ पढ़के निकलता हूँ ,पर मेरा भाई कुछ नही करता ,दिन भर घर में बैठा रहता हैं ,माझी आई म्हणते लहान ऐ ....(मेरी माँ कहती हैं वह तुम्हारा छोटा भाई हैं )
सासु माँ आश्चर्य से हक्की बक्की ...
घर आने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा "राधिका ये भाई मुस्लिम था ....?"
हाँ वह मराठी माणुस सा दिखने वाला ड्राईवर मुसलमान था ,उसका नाम था "अल्ला बख्श बागबान "।
कोल्हापुर में हम तीन दिन थे . वही नही न जाने कितने मुसलमान शुद्ध मराठी बोल रहे थे,देवी महालक्ष्मी के दर्शनों को आतुर थे ,कुछ माँ की तस्वीरे बेच रहे थे,कुछ देवी की साडी और चूड़ी बेच रहे थे । सब देख कर मैं सोच में पड़ गई,जब मैं गुजरात में होती हूँ तो वहाँ हर कोई गुजराती दीखता हैं ,हिंदू ,मुस्लिम ,सिख, इसाई ...हर कोई ,जब महाराष्ट्र में होती हूँ तो हर कोई मराठी ...पंजाब में हर व्यक्ति वाहेगुरु की फतह कहता हैं ,और दक्षिण में हर व्यक्ति तिरुपति बालाजी को नमन करता हैं ।हम सब हाजी अली जाते हैं ,मियां तानसेन के मकबरे पर सब संगीतज्ञ मत्था टेकते हैं। मैं सोचती रह जाती हूँ कहीं कोई हिंदू दिखे,कहीं मुस्लिम ,कहीं सिख या फ़िर इसाई ,पर दीखते हैं सिर्फ़ इंसान ,धर्म ,जाती ,देश ,राज्य की सीमओं से परे,एक दुसरे के धर्मो का सन्मान करते ,मानवीय रिश्ते निभाते ,एक दुसरे से प्रेम भाव और बंधुता रखते इंसान और भारतीय । सच्चे भारतीय ,जिनकी नज़रे न तो हिंदू मुस्लिम का भेद जानती हैं ,न धर्म मजहब की चौखटे ,वह जानती हैं सिर्फ़ जीवन के मायने और भारतीयत्व ।
धर्म ,मजहब का द्वेष जिनके मनो में हैं ,वह मुस्लिम नही ,हिंदू भी नही ,उनका कोई धर्म नही वह या तो ख़ुद विकृत मनस्तिथि के हैं ,या अपना स्वार्थ चाहते हैं। सच्चा भारतीय तो भारत में हर कहीं हैं ,उसे देखकर मुझसा कोई भी प्रश्न में पड़ जाए की कौन हिंदू, कौन मुस्लिम ?
इंसान अपने ख़ुदाओं को ख़ुद बनाकर बेचते हैं।
ReplyDeleteआप अपने ड्राईवर की मराठी का अनुवाद हिन्दी मे बताते तो अच्छा होता।
धार्मिक तौर पर हर कोई बुरा लगता है, अगर इंसान बनकर दूसरों को देखो तो हर कोई अच्छा लगता है।
धर्म के नाम पर लड़ने वालो को शिक्षा देता हुआ एक उम्दा लेख.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आए और आपनी प्रतिक्रिया दे
सच्चा भारतीय तो भारत में हर कहीं हैं ,उसे देखकर मुझसा कोई भी प्रश्न में पड़ जाए की कौन हिंदू, कौन मुस्लिम ?
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा !
काश दूसरे लोग भी इसी तरह सोचें.यही है असली हिन्दोस्तान का चेहरा.
ReplyDeleteअच्छा लेख। हर कोई हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, ना बनकर एक इंसान क्यों नही बनता?
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख ! अच्छा मनुष्य होना ही सबसे बड़ी बात है । देखा जाए तो अपने अपने में लगभग सब अच्छे भी होते हैं बुरे तो वे बस तब हो जाते हैं जब अपने मस्तिष्क को ताक में रखकर भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
सच्चा इंसान ही अच्छा इंसान है .फ़िर वह चाहे किसी भी धर्म को क्यों न मानता हो ..अच्छा सुंदर लिखा है आपने
ReplyDeleteकाश वो लोग भी इस सच्चाई को देख सके जो राजनीतिज्ञों की बातों पर आकर अपने भाइयों की हत्या करने से नहीं चुक रहे हैं.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ढंग से बहुत ही सही कहा आपने.साधारणतया जनसामान्य ऐसे ही होते हैं.पर अतिवादी ही किसी भी धर्म /मजहब को बदनाम करते हैं.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने.
ReplyDeleteदुनिया में सिर्फ दो धर्म होने चहिये अमीरी और गरीबी . हिन्दू ,मुस्लिम तो पूजा पद्धिति है
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने।जितनी तारीफ़ की जाये कम होगी। आज की सबसे बडी ज़रुरत है ये पोस्ट्।
ReplyDeleteसर्वधर्म समभाव /सद्`भाव ही सह अस्तित्त्व के लिये सही है
ReplyDeleteअच्छा आलेख ~~
- लावण्या
टूटता देखा सितारा, तो परिंदा रो पड़ा था
ReplyDeleteमंदिरों में मस्जिदों में, वह मुझे ही ढूँढता था
बहुत ही सुंदर लगी आप की यह पोस्ट.
धन्यवाद
सुंदर पोस्ट. बहुत साल पहले की घटना याद आ गई । जब हम कटरा में वैष्णो देवी के दर्शन के लिये गये थे । बच्चे साथ ते तो हमने एक कुली कर लिया था तो मुसलमान हमें पता भा था पर वे दिन ही अलग थे । वह जाते हुए हमें देवी की कहानियाँ सुना रहा था मंदिरों की आख्यायिकाएँ बताता जा रहा था और अंत में तो उसने ये भी कह दिया माँ आपको फिर बुलायेंगीऔर मै ही आपको लेकर जाउँगा । हमारा नाम पता भी ले लिया और दिल्ली में उसने एक पत्र बी भेजा जो हम पढ तो नही पाये क्यूंकि उर्दू में था पर उसकी भावना दिल को छू गई । अच्छा इनसान होना जरूरी है तभी हम अच्छे हिंदू या अच्छे मुसलमान बन सकते हैं ।
ReplyDeleteअति सुन्दर!! बिल्कुल सही कहा!!
ReplyDelete@धर्म ,मजहब का द्वेष जिनके मनो में हैं ,वह मुस्लिम नही ,हिंदू भी नही ,उनका कोई धर्म नही वह या तो ख़ुद विकृत मनस्तिथि के हैं ,या अपना स्वार्थ चाहते हैं।
ReplyDeleteबहुत सही बात है. दुःख यह है कि ऐसे विकृत मनस्तिथि के मानुसों की संख्या बढ़ती जा रही है.
राधिका जी....सच तो यही है...
ReplyDeleteकि वाकई हिंदू-मुस्लिम-इसाई या किसी भी नाम की जातियां तो हमारी ही बनाई हुई हैं...
मगर अफ़सोस तो यही होता है.....कि हम अपने को ऊपर ले जाने वाली सीड़ियों का इस्तेमाल भी नीचे अतल घाटियों में जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं....धन्य हैं हम......!!
HI YOU TRIED TO EXPLAIN THE FEELINGS ONE HAVE WHEN HE OR SHE THINKS BY HEART BUT SOME PEOPLE WHO CLAIMS TO HAVE BRILLIANT BRAIN AND THINKS THAT THEY RULE INDIA AND PEOPLE FOLLOW THEM BUT I THINK COMMON MAN WILL RISE ONE DAY AND HE WILL RULE INDIA AND NO DYNASTY CAN RULE INDIA.
ReplyDeleteachchha likha. badhai.
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