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Wednesday, December 31, 2008

सेल्फ हेल्प बुक्स का बढ़ता बाज़ार.....क्या हैं सच ?

सेल्फ हेल्प बुक्स !किताबो की किसी भी बड़ी दुकान में सबसे अधिक किताबे जिस विषय पर संग्रहीत की गई होंगी वह हैं सेल्फ हेल्प। कई लेखको की कई सेल्फ हेल्प से सम्बंधित कई विषयों पर किताबे ,कभी आत्मविश्वास पर ,कभी जीवन को जीने के तरीके पर ,कभी महिला शक्ति पर ,कभी अच्छी आदतों पर ,कभी जीत पर ,कभी सकारात्मक विचारो पर ,कभी प्रभावी जीवन शैली पर,कभी कार्य कुशलता पर ,कभी रिश्ते नातो की साज संभाल पर..................किताबे ही किताबे . इन किताबो की बिक्री का बाज़ार बढ़ता ही जा रहा हैं ,इतनी किताबे और हर किताब की चालीस -पचास लाख प्रतिया बेचीं गई होने का दावा !इन किताबो की चमक दमक ,लेखको के सुनहले वादे और इन सब के बीच चकराता आम पाठक । करे तो आख़िर क्या ?पढ़े तो क्या ?ख़रीदे तो कौनसी किताब ?बडे बडे नाम ,बडे बडे पब्लिकेशन और एक सामान्य भारतीय वाचक ।

इन सबसे बडा प्रश्न यह की अचानक इन किताबो की इतनी बाढ़ सी जो आई हैं ,उसके पीछे क्या यह कारण हैं की यह किताबे बहुत अभूतपूर्व हैं?या इनके जैसे लेखक ज्ञात इतिहास में कभी नही हुए ?इन किताबो में जो लिखा गया हैं वो कभी भी कही भी नही लिखा गया ?या भारतीय व्यक्ति की जीवन शैली,जीवन पद्धति,जीवन दर्शन में आमूलचूल परिवर्तन आया हैं ।

आजकल जो यह सेल्फ हेल्प बुक्स धड़्ड्ले से बिकती जा रही हैं इसके पीछे ,इन्हे पढने का चलन होने के आलावा यह भी कुछ मत्वपूर्ण कारण हैं :-एकाकी परिवारों,नातो रिश्तो में जटिलता ,कठिनतम जीवन ,भाग दौड़,जीवन में बढ़ता तनाव ,बढती प्रतियोगिता ,अमीर बनने की ,श्रेष्ट बनने की अतीव इच्छा ।

दरअसल हो यह रहा हैं की इस कठिन समय में जब सबको जीवन में बहुत कुछ पाना हैं ,न जीवन की कोई गारंटी रही हैं ,नही शिक्षा की ,न किसी रिश्ते की,न प्रेम की ,सब कुछ पर से भरोसा उठता जा रहा हैं ,और यही मूल कारण हो रहा हैं की जब व्यक्ति ख़ुद को एकाकी समझता हैं तब उसे किसी न किसी सहारे की जरुरत पड़ती हैं ,वह सहारा किताबे भी हो सकती हैं,जो उसे जीवन के कठिन समय से लड़कर ,जीतकर आगे बढ़ना सिखाये इसलिए यह सेल्फ हेल्प की किताबे धडाधड बिकती जा रही हैं ।

कुछ किताबे जो वाकई में बहुत अच्छी हैं, उनकी बात छोड़ दी जाए तो बहुत सी किताबे ऐसी हैं ,जिनमे जीवन के कई पक्षों पर सारगर्भित विचार नही हुआ हैं ,किसी एक सोच ,किसी एक पक्ष को लेकर जीवन नही जिया जा सकता ,मनुष्य जीवन बहुआयामी हैं ,इसके कई रूप हैं,इसमे आने वाले प्रसंग कई रंग और रूप लेकर आते हैं,हर व्यक्ति की मूल भुत प्रवृति अलग अलग होती हैं ,परिस्तिथियाँ अलग अलग होती हैं ,इसे में किसी एक विचार विशेष को लेकर उसके सहारे सभी परिस्तिथियों के निर्वहन की बात कुछ अटपटी सी ही लगती हैं । मैंने भी बहुत सी किताबे पढ़ी हैं यही जानने के लिए की ऐसा कौनसा मंत्र हैं इनमे, की जिसे पढने के बाद जीवन ही बदल जाता हैं ,मजे की बाद यह हैं की इक्का दुक्का बातो को छोड़ दे तो सभी किताबो में नए रूप से ,नए तरीके से, लगभग वही बात लिखी गई हैं ,वही समझाया गया हैं हैं ,जो हम सभी हैं ,जानते हैं ,समझते हैं पर वह्य्वार में नही ला पाते ।
हो यह रहा हैं की हम बहुत अकेले पड़ते जा रहे हैं ,हमारी शिक्षा पद्धति हमें किताबी ज्ञान तो करवा देती हैं ,कई बार दो चार अच्छे सुभाषित भी रटवा देती हैं,अच्छी कलाओ का अति संषिप्त ज्ञान भी करवा देती हैं ,लेकिन जीवन जीने का सही तरीका,जीवन आख़िर क्या हैं? आने वाली हर कठिनाई का सामना कैसे किया जा सकता हैं ?इन सब बातों का ज्ञान नही करवा पाती । हम अकेले होने लगते हैं ,जब रिश्तो में टूटन आने लगती हैं,हम असफलता की ओर बढ़ते जाते हैं और तब याद आती हैं सेल्फ हेल्प बुक्स ,कई प्रबुद्ध पहले ही इन्हे पढ़ कर जीवन के रणक्षेत्र में सम्हले हुए योद्धा की तरह खड़े होते हैं . किंतु बात यहाँ आकर ख़त्म नही होती ,मैं नही कहती की इन किताबो का ,इन पुस्तकों का वाचन ग़लत हैं ,नही बिल्कुल नही ,हमें हमेशा पढ़ते ही रहना चाहिए ,किताबे मनुष्य की सबसे सगी मित्र होती हैं ,लेकिन इन किताबो में लिखी हर बात को अक्षरश: जीवन में पालन कर देखना मुझे नही लगता की यथार्थ के धरातल की पथरीली जमीन को नाज़ुक और सरल बना सकता हैं .

संस्कार जो बडे बच्चो को दे सकते हैं,विद्यालय जो अपने छात्रो को सिखा सकते हैं ,और आत्म विश्लेषण जो हम सभी मनुष्य कर सकते हैं ,इन तीन बातो का बड़ा महत्व हैं . कहते हैं न "आत्मा व अरे दृष्टव्य :"हमारी आत्मा में असीम ज्ञान भरा हैं,हर परिस्थिति से लड़ने का रास्ता हमें ही पता हैं ,हम जानते हैं की कब क्या करना सही हो सकता हैं और क्या ग़लत ,ये किताबे हमें सिर्फ़ रास्ता दिखाती हैं अत: इन्हे पढ़ना ग़लत नही हैं,लेकिन मंजिल हमें ख़ुद को पानी हैं ,अपने तरीके से,अपनी विचार श्रृंखला स्वत परिमार्जित कर ,स्वत: को सबल और सक्षम महसूस कर ,तभी हम जीवन में हमेशा जीत पा सकते हैं ,एक सुंदर और आनंदी जीवन निर्वाह कर सकते हैं .


नवीन वर्ष ,नवीन आशा ,उत्साह और नवीन समय लेकर कुछ ही समय में पदार्पण कर रहा हैं ,आप सभी को नवीन वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये ,आशा करती हूँ आने वाला नवीन वर्ष आप सभी के लिए बहुत आनंददाई और मंगलमय होगा . इति
वीणा साधिका
राधिका

7 comments:

  1. नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
    धन्यवाद

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  2. नव वर्ष आप को सपरिवार मंगलकारी हो!

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  3. आपको भी नववर्ष की शुभकामनाऐं

    रंजन
    http://aadityaranjan.blogspot.com

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  4. शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने । िवषय की िववेचना करते हुए अच्छा िलखा है आपने ।

    आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए ।

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  5. राधिका जी,
    इन किताबों के बारे में आपकी समीक्षा सटीक है. आज की पीढी सब कुछ पा लेना चाहती है, वह भी तुरत-फुरत और बिना किसी उत्तरदायित्व या emotional intelligence के.

    आपको, आपके परिजनों और आपके मित्रों और परिचितों को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे!

    अनुराग शर्मा

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  6. राधिका जी
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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