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Monday, January 5, 2009

क्या पति ,पत्नी का एक दुसरे की खुशी के लिए बदलना गलत हैं ?

पिछले दिनों रब ने बना दी जोड़ी फ़िल्म देखी,काफी तकनिकी और डायरेक्शन की गलतियों के बाद भी फ़िल्म चल गई ,लोगो ने इसकी कहानी की प्रशंसा भी की,पर फ़िल्म देखने के बाद मुझे इसकी कहानी ने सोचने पर मजबूर कर दिया ।

फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने दो भूमिकाए निभाई हैं ,सुरींदर सूरी की भूमिका में वह एक बहुत सादा सरल व्यक्ति बना हैं जो अपनी पत्नी तानी से दिल ही दिल में बहुत प्यार करता हैं, पर न तो कभी उससे अपने प्यार इजहार करता हैं न उसके साथ ज्यादा बोलता हैं । दूसरी तरफ़ वह तानी को खुश करने के लिए राज भूमिका करता हैं ,जिसमे वह तानी की खुशी के लिए उनसे बाते करता हैं ,उसे हसाता हैं ,यहाँ तक की उसकी खुशी के लिए गोल गप्पे खाने की शर्त भी लगा लेता हैं और पेट ख़राब होने के बाद भी अपनी पत्नी के हाथ की बनी बिरयानी खाता हैं । कुल मिलाकर वह अपनी पत्नी से ह्रदय से प्रेम करता हैं ।

वास्तविकता के धरातल पर अगर इस कहानी की समीक्षा की जाए तो ऐसा लगता हैं की कहानी भटक गई हैं । विवाह के बाद पति और पत्नी को उम्र भर साथ रहना होता हैं ,उम्र भर एक दूर के गम और खुशियों को बाटना होता हैं,वे एक दुसरे का जीने का सहारा होते हैं ,जब एक दुखी होता हैं तो दूसरा संभालता हैं ,जब दूसरा दुखी होता हैं तो पहला उसे हसाता हैं ,यही विवाहित जीवन का अर्थ हैं,इसलिए ही एक दुसरे का साथ निभाने की कसमे और वचन लिए जाते हैं । अगर आप किसी से ह्रदय से प्रेम करते हैं चाहे वह आपकी माँ हो ,पिता हो ,भाई हो बहन हो या दोस्त तो उसकी खुशी के लिए आप क्या कुछ नही करते । ठीक उसी तरह अगर कोई पति अपनी पत्नी से प्रेम करता हैं तो उसकी खुशी के लिए वह उसके साथ घूमना फिरना ,उससे बातें करना उसके मन मुताबिक रहना शुरू कर दे तो इसमे बुराई ही क्या हैं ?हम तो इसी तरह रहेंगे ,आते ही ऑफिस से लेपटोप पर काम करना शुरू कर देंगे ,तुमसे बात भी नही करेंगे ,तुम्हे अगर पैसे की जरुरत हैं तो देंगे ,कुछ बाज़ार से सामान लाना हैं तो वह भी कर देंगे । पर क्योकि हम तुमसे सच्चा प्यार करते हैं तो तुम्हे हमारा यह अजीब सा स्वभाव भी स्वीकारना होगा । यह कैसा गुरुर हैं?

एक अच्छी लड़की यह कभी नही चाहती की उसका पति बहुत स्मार्ट हो,या बहुत पैसे वाला हो ,वह बस इतना चाहती हैं की उसका पति उसे ह्रदय से प्रेम करे ,उसे पति के रूप में एक मित्र की जरुरत होती हैं ,जो उसकी सारी बाते सुने ,उसकी हर छोटी बड़ी खुशी में अपनी खुशी जाहिर करे ,उसके दुःख को अपना कहे,जब वो रोये तो अपने पति के कंधे पर सर रखकर रो सके । और इसी दुविधा में तानी भी होती हैं ,एक तरफ़ राज जो उसकी सब बात समझता हैं,उसको जीने के लिए सहारा देता हैं ,उसे हँसाने के लिए क्या कुछ नही करता ,और एक तरफ़ सुरींदर बाबु ,जो उसे मन से प्यार तो करता हैं , उसे जरुरत के समय पैसा देता हैं ,उसे डांस सिखने से भी नही रोकता ,उसके पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए उससे शादी भी कर लेता हैं । तानी चुने तो किसे ?क्योकि वो जानती हैं की सुरींदर भी बहुत अच्छा इन्सान हैं ,उससे बहुत प्रेम करता हैं और राज भी,पर राज के साथ वह ख़ुद को बहुत खुश पाती हैं ,और सुरींदर के साथ ख़ुद को सिर्फ़ एक कर्तव्य पूर्ण करने वाली पत्नी के रूप में ,एक तरफ़ सम्मान होता हैं जो वह सुरींदर का करती हैं और दूसरी तरफ़ प्रेम ,जो वह राज से करती हैं । भई तानी तो भाग्यशाली थी उसने दोनों रूप में अपने पति को ही चाहा ,पर एक आम लड़की अगर ह्रदय से अपने पति को चाहती हैं,आजन्म इस रिश्ते का सम्मान भी करती हैं ,पति की खुशी के लिए कितना कुछ करती हैं ,वो अगर चाहे की उसका पति उसकी भावनाओ का सम्मान करे,उससे बाते करे ,उसकी इच्छाओ को समझे,उसका दोस्त बन के रहे तो क्या ग़लत हैं ?क्योकि सुरींदर के दोस्त का ही वाक्य"कोई भी भगवान नही होता सब इन्सान ही होते हैं"इसका मतलब यह नही की पत्नी किसी और के साथ भाग जाए ,यह तो बेहद गलत हैं ,किंतु वह अपने पति से थोड़ा सा साथ ,मित्रवत वह्य्वार चाहे तो कुछ भी गलत नही हैं ।

इति
वीणा साधिका
राधिका

18 comments:

  1. अगर बदलाव से कुछ अच्छा घटित हो तो.. कभी बुरा नही है.. जीवन को खुशनुमा बनाने के लिए बदलाव ज़रूरी है

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  2. बड़ा ही नाज़ुक रिश्ता है. दोनो तरफ अकल्मंदी चाहिए, सामंजस्य बनाने के लिए. आभार.

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  3. Nice to know about you.. and thanks for visinting and commenting on my shayari...
    .. nice to read your article..
    Jo badalte hain.. dhire dhire ek ho zaate hain....ek hi lagte hain.. ek jaise hi dikhjane lagate hain...

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  4. यह सच है कि यह फिल्म ज्यादा अच्छी नहीं है पर कुछ कुछ अपनी सी लगी यह फिल्म। बेटी बहुत सुन्दर हैं। हमारी तरफ से ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद ।

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  5. बदलना यदि सुखद हो तो कोई बुराई नही ..पर यह बात दोनों तरफ से हो ..सिर्फ़ एक तरफ़ से बदलना अधिक देर तक ज़िन्दगी को खुशी नही दे पायेगा

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  6. I have not seen the film yet but as per your article it looks that it is my story....same way....i love my wife deeply but have no time for her...she always angry with me and always says that she is not happy with life because office se aane ke baad internet sara time le leta hai....she says that i should change my lifestyle and i say that she should change herslef,,,,i dont know whats right

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  7. ये प्रेम एक बहुत नाज़ुक केमेस्ट्री है जी

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  8. अनामदास जी आपकी पत्नी को थोड़ा समय दे,वो भी धीरे धीरे आपकी बात समझेंगी ,अगर आप उनको समझेंगे तो वह भी आपको समझेंगी ,दोनों में से किसने किसे पहले समझा यह महत्वपूर्ण नही हैं ,नही यह की किसने स्वयं को पहले बदला ,महत्वपूर्ण यह हैं की आप दोनों की एक दुसरे की जीवन शैली बदलने के लिए होने वाली शिकायत खत्म हो गई ,और ऐसा जरुर होगा . विश्वास रखिये .

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  9. राधिका जी
    हमें फ़िल्म को फिल्मी नज़रिए से ही देखना चाहिए.
    फ़िल्म की अच्छाई को ग्रहण करें और बुराई को पलक झपकते ही भूल जाएँ.
    इसका मतलब आप अपने चिंतन से मत लगाएं , आप अपनी जगह १००% सही हैं
    - विजय

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  10. बहुत सही कहा आपने..........कुश जी से मैं भी सहमत हूँ..अगर बदलाव से कुछ अच्छा हो सकता है तो हमें अपने आपको बदलना चाहिए .

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  11. परस्पर सामंजस्य के लिये लचीला और परिवर्तनशील तो होना ही चाहिये।

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  12. ये सब शहरी जीवन शैली का किया धरा है|

    "इन उजड़ी हुई बस्तियों में दिल नही लगता,
    है जी में वहीँ जा बसें, वीराना जहाँ हो|"

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  13. एक दुसरे की ख़ुशी के लिए थोडा बदलाव कर लेना अच्छा है! आपकी हर बात से मैं सहमत हूँ...

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  14. बजा फ़रमाया आपने.

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  15. बहुत सही कहा आपने राधिका ! बहुत ही सुंदर और सार्थक पोस्ट है.
    मैंने भी फ़िल्म देखी ,पर सच कहूँ तो मुझे फ़िल्म बहुत अच्छी नही लगी.लगा एक अच्छे विषय को सार्थक और सुंदर ढंग से दिखा नही पाए ये लोग ,बस शाहरूख खान के यंग लुक को परोसने में दत्तचित्त रह गए..
    सुरेंदर यदि प्रेम प्रदर्शन के लिए रूप बदलकर राज बन कर पत्नी को खुशी दे सकता है,तो सुरेंदर ही रहकर राज के तरह व्यवहार कर पत्नी को खुशी क्यों नही दे सकता.अलग से रूप बदलने की क्या आवश्यकता थी.

    व्यक्ति जब किसी से अथाह प्रेम करता है तो,अनायास ही वह अपने प्रिय के लिए वह सब कुछ करने लगता है जो उसके प्रिय को रंचमात्र भी प्रसन्नता देती हो और यदि ऐसा नही है तो मान लेना चाहिए कि प्रेम नही कर्तब्य निर्वहन हो रहा है.
    पति पत्नी के मनोरूप या पत्नी पति के मनोरूप स्वयं को ढाले ,यह यदि दोनों में प्रेम होगा तो अपने आप हो जाता है. और यदि यह नही हो रहा है,तो सोचना चाहिए कि दोनों प्रेम का भ्रम पाल रहे हैं.प्रेम में निमग्न ह्रदय केवल प्रेम और सुख बांटता है,कर्तब्य निष्पादन में जी जान से जुटा होता है,अधिकार के लिए मारपीट करने को तैयार नही रहता.

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  16. Agar pati patni,ek doosrey ki bhawano ki kadr karey,to bhar walon ka shara nahin chaiye,to apas main samnjaysay staphit ho jai,apney sahi kha apsi prem samabandh prgar hone chaiye,phir aur vastyon ki avashykta kya?

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  17. राधिका बुधकरजी,
    आपके विचार कुलिन परम्पराओ के अनुकुल है। अगर ऐसा होता है तो एक परिवार का सही निर्माण हो सकेगा। आप ने अच्छे विषय पर लिखा इस लिये आपको बधाई राधिकाजी!!
    अतः मे मुझे याद आ रहा है महर्षि रमण का लिखा वो वाक्य " नारि पति के लिये चरित्र, सतान के लिये ममता, समाज के लिये शील , विश्व के लिये दया और प्राणी के लिये करुणा सजोने वाली महाप्रकृति है" यह लेख पढने के लिये मेरे ब्लोग को देखे।

    जय हिन्द।

    HEY PRABHU YEH TERA PATH
    http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/
    ctup.bhikshu@gmail.com

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  18. radhika aap ek ladki hai aur isilie aapki feeling patni ke lie hai. magar ye kahan likha hai ki sirf pati hi apni patni ko khush rakhe kya patni ka koi farz nahi hai. Is tark me ye kaha ja sakta hai ki ladki apna sabkuchh chhod ke pati ke ghar aati hai... islie pati ka farz hai ki bibi ko khush rakhe. thik hai manta hoon ki aisa hai... par aaj ke samay me wo stithi nahi rahi. kyoki aajkal koi bhi bibi joint family me nahi rahna chahti. agar pati kisi doosre sahar me service karta hai to, tab bhi wo apne pariwar ke saath nahi reh pata .. aur yadi pariwar ke sath reh bhi raha ho to bibi use alag kara deti hai. to phir ye baat kahan uthti hai ki sirf ladki hi apna ghar chhodti hai... jab dono akele reh rahe ho to ek doosre sa sahara wahi hote hai. to sirf pati hi apni patni ko khush kyon rakhe. agar koi patni apne pati se khud ko khush rakhne ki ummeed rakti hai to use bhe ye sochna chahiye ki kya me apne patni farz ko sahi nibha rahi hoon. ... islie ye baat to dono ke lie barabar baithti hai.

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